असली खुशियाँ

असली खुशियाँ

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राहुल और मोहिनी एक दूजे से बहुत प्यार करते थे राहुल की नई नई नौकरी लगी तो दोनों ने शादी कर ली उनके माता पिता इस शादी के खिलाफ थे घर से भाग कर दोनों ने घर तो बसा लिया ।

मोहिनी को अपनी सुंदरता पर बड़ा नाज़ था । राहुल को बच्चो से बड़ा लगाव था वो चाहता था कि उसके दो चार बच्चे हो पर मोहिनी इससे विपरीत स्वभाव की थी वो चाहती थी कि राहुल पहले बहुत से पैसा कमा ले फिर परिवार आगे बढ़ाएंगे


अपनी इसी सोच के चलते उसने शादी के पांच साल में चार बार राहुल को बताए बिना ही एबॉर्शन करवाती रही । राहुल पैसा तो बहुत कमाता रहा दिन रात मेहनत करके पर उसके मन मे कोई खुशी नही थी उसका बच्चो से बहुत स्नेह था वो आस पास के बच्चे देखता तो उसको खुशी मिलती पर मन ही मन उसका अपना आँगन सूना लगता ।


जब उसने मोहिनी से बच्चे की उम्मीद की तो मोहिनी भी तैयार हो गयी पर उसकी फूटी किस्मत ऐसी निकली की डॉक्टर्स ने जवाब दे दिया कि इतनी बार आपने एबॉर्शन करवाया है कि अब आप माँ नही बन पाएगी । मोहिनी को अपनी गलतियो का एहसास होता है वो दो चार और डॉक्टर्स को कंसल्ट करती है ।


मोहिनी और राहुल में इस बात को लेकर अब तनाव रहने लगता है तब राहुल अपनी बहन के बच्चे को गोद ले लेता है मोहिनी उसी बच्चे के साथ खुश रहने लगती है उस बच्चे के आने से घर मे रौनक आ जाती है फिर पांच साल बाद मोहिनी को एक रोज पता चलता है कि वो माँ बनने वाली है और उसके घर जुड़वा बच्चे होते है एक बेटा एक बेटी उसकी खुशियो का ठिकाना नही रहता

उसका बड़े बच्चे के प्रति स्नेह प्यार ममता कम नहीं होती और सब खुशी ख़ुशी जीवन व्यतीत करते है

सूना आँगन अच्छा नहीं लगता असली खुशियाँ तो बच्चो की किलकरियो से ही है



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