असली दौलत

असली दौलत

2 mins
561


रागिनी की शादी हुए जमाना बीत गया था, पति सुमित अच्छी नौकरी करता था। उसके चार बच्चे थे जिनको पाल पोसकर अच्छी परवरिश और शिक्षा दी।


बच्चो ने अपने अपने घर बसा लिए,

सिर्फ एक बेटी की शादी नहीं हुई थी और वो उनके साथ ही रहती थी, माता-पिता की सेवा करके ही वो दिन गुजार रही थी।


तीनों बड़ी बेटियां जब जी चाहे आती। दो-दो चार-चार दिन वहां रहती। अपने बच्चो को माँ और बहन के सहारे छोड़ देती और खुद घूमती फिरती। घर का कोई काम ना करती। उनके बच्चे माँ और बहन के सहारे ही पल गए और जब देखो माँ बहन को बाते सुनाती, पिता की कमाई तो उन तीन बेटियों पर ही खर्च हो गयी।


फिर अचानक पिता की मौत हो गयी और बेटियां अपनी माँ-बहन से घर के हिस्सा मांगने लग गयी। माँ और बहन को परेशान करने लग गयी। इसी चिंता में माँ भी बीमार रहने लग गयी और एक दिन माँ भी गुजर गयी।


अब बहन को परेशान करना उनका काम बन गया।,उससे हिस्सा माँगने लगी। माँ की मौत के बाद माॅं का वकील आया और उसने तीनो बेटियों को माँ की वसीयत थमा दी,

जिसमे उसने अपनी तीनो बड़ी बेटियों को जायदाद से वंचित कर दिया था और सब कुछ उस बेटी के नाम लिख दिया जिसने उनकी सेवा की। हर वक्त माता पिता का ध्यान रखा।


माँ-बाप ही हमारी असली दौलत है। माया तो आनी-जानी है। कर्म अच्छे करो। जिनने हमको जन्म दिया उनका दिल कभी ना दुखाओ, स्वार्थ में अंधे ना हो जाओ।


Rate this content
Log in