मानव की पहली जीत
मानव की पहली जीत
मानव की जिंदगी में काफी उथल -पुथल थी, क्योंकि उसको असफलता ही प्राप्त होती थी मानव कभी भी पहले नंबर पर नहीं आया हमेशा आखरी आता था मानव के दोस्त भी उसका मजाक बनाते थे और कहते थे तुम किसी काम के नहीं हो लेकिन मानव की जिंदगी में नया मोड़ आने वाला था घुडसवारी की प्रतियोगिता मानव के शहर में शुरु होने वाली थी मानव से उस प्रतियोगिता में भाग लिया और तैयारी करने लगा दोस्त उसके पास आकर उसका मजाक बनाते कि तुम जीत नहीं पाओगे
मानव बोला कोई बात नहीं जीता तो सही न जीता तो भी सही मानव के दोस्त -तुम कितनी अजीब बात कर रहे हो अगली सुबह मानव ने अपना घोड़ा तैयार कर लिया रैस के लिए प्रतियोगिता शुरु हो गई और मानव का घोड़ा बड़ा अराम -अराम से दौड़ रहा था और सब घोड़े काफी आगे थे लेकिन मानव को कोई चिन्ता नही ,जो घोड़े तेज दौड़ रहे थे वह या तो बेकाबू हो गये और कुछ गिर गए पर मानव का घोड़ा चलता गया सब घुड़सवार हार गए लेकिन मानव का घोड़ा जीत गया और ये देखकर मानव के दोस्त को काफी शर्मिदगी महसूस हुई।
शिक्षा :- हारने वाला अगर हार न माने तो जीत संभव मिल सकती हैं |