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Sarita Kumar

Classics

4  

Sarita Kumar

Classics

मिस्ड कॉल

मिस्ड कॉल

3 mins
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यूं ही याद आ गया गुजरा हुआ जमाना । जब मोबाइल पर सिर्फ फोन करने के ही नहीं बल्कि फोन रिसीविंग के भी पैसे लगते थें। आज के मुकाबले तनख्वाह कम थी और खर्चे बेतहाशा। हम अलग-अलग शहरों में रहने को मजबूर थें। बच्चें छोटे-छोटे थें और सासूमां बीमार रहती थी ढ़ेर सारी बातें हुआ करती थी बताने को और बड़ी तलब रहती थी कुछ अच्छा सुनने को मगर हाय ... रे मजबूरी .....। बात चाहे पारिवारिक हो या व्यक्तिगत नजर घड़ी की टिक-टिक पर ही टिकी रहती थी कि जैसे 58/59 हो तो फोन डिस्कनेक्ट कर दूं नहीं तो दूसरे मिनट के पैसे कट जाएंगे। बड़ी जद्दोजहद रहती थी। लेकिन दिन भर की खबर बताना जरूरी था। बच्चों और पापा के बीच में संवाद बनाए रखना जरूरी है। और फिर अपने दिल का ख्याल कैसे न रखूं ? सुबह पांच बजे से लेकर रात के ग्यारह बजे तक चक्कर घिन्नी की तरह घूमते रहने के बाद जब बिस्तर पर जाती थी तब बड़ी तलब महसूस होती थी कुछ बताने और सुनने की। संक्षिप्त शब्दों में हम अपना अपना हाल सुनाया करते थें। अधिक देर तक बात करने से पैसों की चिंता सताने लगती थी। बहुत बार बच्चों को डांट दिया करती थी , खुद भी पहले एक पेपर पर नोट करके रखती थी कि क्या क्या बताना जरूरी है ताकि सीमित समय सीमा में सभी जरूरी संदेश दे सकूं। आपस में हमने तय कर लिया था कि जब ज्यादा जरूरी बात नहीं होगी तब एक मिस्ड कॉल करेंगे तब समझ जाना कि "गुड नाईट " बोलना है और दो मिस्ड कॉल मतलब बहुत याद आ रही है और तीन मिस्ड कॉल मतलब कुछ जरूरी बात है बैक कॉल कीजिए। इन बंदिशों में गुजारा है हमने अपनी जवानी के दिन। जब बातें बहुत हुआ करती थी बोलने को , चाहत भी बहुत थी सुनने की मगर पैसों की चिंता। मन मसोस कर बातें दिल की दिल में ही दबाकर रखनी पड़ती थी। मुझे बहुत अच्छे से याद है वो तमाम रातें जब जब ढेरों अरमान लिए हाथ में मोबाइल पकड़े सो जाती थी मिस्ड कॉल के जवाब में आने वाला मिस्ड कॉल जब नहीं आता था किसी भी कारण से ..... सुबह नींद खुलते ही शुरू हो जाती बच्चों की तिमारदारी , अम्मा जी की सेवादारी और फिर समय हो जाती आवा जाने का। वहां जाकर रेजिमेंट की महिलाओं को जैम , जैली , सॉस , मुरब्बा , आचार और शर्बत बनाना सीखाती थी। जब आवा से लौटकर आती तो पहले अम्मा जी फिर बच्चें और फिर वही रात ..... कितना मुश्किल था ....। 

आज मेरे मोबाइल में दो सिम है अनलिमिटेड काॅल , मैसेज और फ्री वाट्स एप कॉलिंग , गूगल कॉलिंग , फेसबुक कॉलिंग। रिसिविंग फ्री। और हम भी फ्री ना अपनी नौकरी ना उनकी , ना बच्चों को स्कूल भेजने की जल्दी ना आवा जाने की जरूरत। चौबिसों घंटे फुर्सत ही फुर्सत ...... लेकिन अब मैं बात नहीं कर सकती क्योंकि गले में तकलीफ़ हो गई है डॉक्टर ने मना कर रखा है ना बोलना है न हंसना है और ना ही रोना है। स्पाइन की सर्जरी हुई थी तो कुछ गड़बड़ हो गई थी जिसके बाद एक दिन बात करने और हंसने के वजह से नली फट गई और इंटर्नल बिल्डिंग हो गई और स्थिति बेहद नाजुक हो गई थी। 

यूं तो हर रोज शुक्रिया अदा करती हूं भगवान जी को , उन्होंने सब कुछ बहुत बेहतरीन दिया है मुझे। खुशियां बेशुमार दी है। मान सम्मान प्यार दुलार भरपूर मिला है। लेकिन थोड़ी थोड़ी सी खफा हूं।

जब मैं बहुत बात कर सकती थी तब दुरियां थी ऊपर से मोबाइल में पैसों की मजबूरियां थी और अब जब न पैसों की फ़िक्र और ना दुरियां फिर ये कैसी मजबूरियां ....।


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