"रिंगटोन"
"रिंगटोन"
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"क्या सोच रही है सोना ?" कॉलेज के गार्डन में किताब खोलकर निगाहें आकाश में जमाए सोनाली से धौल जमाते हुऐ उसकी सहेली विन्नी ने पूछा ।
"आउच ..मारा क्यों ..कब आई तू ?"सोनाली ने मुँह बनाकर कहा ।
"जब तू दिन में तारे गिन रही थी " ठहाका लगाकर विन्नी ने कहा और सोना की किताब बंद करते हुऐ वहीं बैठ गई।दोनों सहेलियाँ खिलखिला उठीं।
"और बता कैसी रही बुआ के बेटे की शादी ?कब आई तू? पूरे पाँच दिन हो गऐ हम दोनों को मिले ... बहुत मिस कर रही थी तुझे .." विन्नी ने सवाल , शिकायत , शिकवे सबकी एक साथ झड़ी लगा दी । दोनों बेस्ट फ्रेंड जो थीं।
सोना ने विन्नी का हाथ पकड़कर मुस्कुरा कर कहा " मैने भी अपनी सहेली को बहुत मिस किया .. कल रात ही आई .. अच्छी रही शादी ..बहुत मज़े किऐ .. बहुत प्यारी भाभी आई हैं" ।
"बहुत अच्छी बात है " विन्नी ने बैग से एक चॉकलेट निकालकर दो हिस्से किए और एक सोना को दे दिया ।
चॉकलेट खाते हुऐ सोना ने कहा "विन्नी तुझे पता है मुझे कौन सा गाना पसंद है ?"
"हाँ .. 'मोह मोह के धागे ' यही तो पसंद है तुझे .." विन्नी ने कहा " दिन भर में चार पाँच बार यही तो सुनती रहती है और मुझे भी बोर कर दिया है ज़बरदस्ती सुना सुनाकर " विन्नी ने मज़ाक बनाते हुऐ कहा ।
"चल हट" सोनाली ने विन्नी के गाल पर हल्की सी थपकी जमाई " पता है कल जब हम बुआ के घर से आ रहे थे तब कोई बाइक पर उनके घर आया और विन्नी जब वो बाइक से उतर रहा था तब उसका मोबाइल बजा और पता है उसके फोन की रिंगटोन भी यही थी 'मोह मोह के धागे' "।
"सोना मतलब ये गाना तूने अपने नाम ख़रीद लिया है क्या कि कोई और सुन भी नहीं सकता ? हद है" विन्नी ने झल्लाते हुऐ कहा।
"अरे नहीं यार .. बस देखना चाहती थी कि मेरे जैसी पसंद और किसकी हो सकती है .. वैसे भी आजकल के लड़के तो हनी सिंह के गाने लगाते हैँ रिंगटोन..
पर हेलमेट लगा था तो देख नहीं पाई .."सोनाली ने कहा।
"ओहो तो ये बात है .. मैडम को बिन देखे प्यार हो गया है वो भी रिंगटोन पर .. हहाहाहा ... सोना तू न अजीब है .. कोई अंकल भी तो हो सकते थे " विन्नी बमुश्किल अपनी हँसी रोककर बोली ।
" पागल है क्या " सोना थोड़ा गुस्से में बोली " प्यार व्यार ऐसे थोड़े न होता बस कौतूहल था और विश्वास भी इंसान जो भी हो अच्छा इंसान होगा ..और कुछ नहीं .. " अच्छा चल क्लास का टाइम हो गया है "
दोनों क्लास की ओर चल दीं।
कुछ एक महीने बाद सोनाली कॉलेज से घर आई तो ड्राइंग रुम में कुछ रिश्तेदार बैठे हुऐ थे। सबको अभिवादन करते हुऐ थकी हुई सोना अपने रूम में आकर बैड पर पसर गई तभी उसकी मम्मी अंदर आईं।
" बेटा बाहर जो लोग बैठे हुऐ हैं वो तुम्हारा हाथ माँगने आए हैं, लड़का विद्युत विभाग में ऑफीसर है .. परिवार भी अच्छा है .. मुझे और तुम्हारे पापा को तो लड़का पसंद है ..तुम और देख लो और अपनी हाँ या ना बता दो.. जल्दी फ्रेश और रेडी होकर आ जाओ .." मम्मी ने स्नेह से सोना के बाल सहला कर कहा और नाश्ते के इंतेज़ाम के लिए चली गईं।
कुछ देर बाद सोना ड्राइंग रुम में थी।
हल्का ऑरेंज कलर का सूट पहने सोनाली बहुत प्यारी लग रही थी । वैसे भी सुंदर तो बहुत है ही वो।उसकी मम्मी उसे देखे जा रही थीं कि कहीं लाडो को नज़र न लग जाऐ मौक़ा मिले तो कान पर काला टीका लगा दूँ ।
कुछ देर औपचारिक बातें होती रही ।
फिर बड़े लोगों ने कहा दोनों बच्चों को कुछ देर एकांत में बात कर लेने दी जाऐ । जिससे सहमति - असहमति पर सोच सकें ।
सोनाली और विपिन आमने सामने बैठे थे सोना के कमरे में।
सोना चुप थी।
विपिन ने ही शुरूआत की " मैं विपिन , कुछ दिन पहले आपको एक शादी में देखा था .. बहुत पसंद आईं आप मुझे . . किसी तरह आपके बारे में पता करके मम्मी पापा को आपके घर लाया हूँ।
पर अगर आपको इस रिश्ते से इंकार हो तो बोल दीजिए। आप अपने डिसीजन के लिए स्वतंत्र हैं।
सोना सोच रही थी कि लड़का बुरा नहीं .. सभ्य भी है.. माँ-पापा को भी पसंद है .. हाँ कर दूँ ।
सोना बोलने को हुई तभी अचानक माहौल में एक गीत लहरी गूँज उठी ..
" ये मोह-मोह के धागे"
विपिन का फोन बज रहा था उसी की रिंगटोन थी ।
सोनाली की आँखे सुखद आश्चर्य से फैल गईं।दिल में तितलिययाँ उड़ने लगीं।
"वाह भगवान जी आप भी अच्छा सरप्राइज देते हो .. जिसे देखना चाहा वो ख़ुद नज़रों के सामने है आज़.... हेलमेट उसी ने तो लगा रखा मैने तो नहीं.. तभी विपिन ने मुझे देखा।" ख़ुश होकर सोनाली ने मन मन में कहा।
"तो क्या जबाब है आपका सोनाली " विपिन ने कहा।
" जी मैं तैयार हूँ इस रिश्ते के लिए " कहते हुऐ सोनाली का दिल बल्लियों उछल रहा था।
कुछ दिन बाद रिंग सेरेमनी में विपिन सोनाली की उँगली में सगाई की अँगूठी पहना रहा था और सोनाली के मन में वही गाना गूँज रहा था ....
" ये मोह मोह के धागे
तेरी उँगलियों से जा उलझे
कोई टोह टोह न लागे
किस तरह गिरह ये सुलझे"
अंकिता