क्या फ़र्क पड़ता है
क्या फ़र्क पड़ता है
विहान ने ऑफिस से लौटकर फोन उठाया और फेसबुक खोलकर देखने लगा।
कुछ लाइक, कमेंट के बाद नज़र गयी फ्रेंड रिक्वेस्ट पर। जिस नाम की रिक्वेस्ट पड़ी थी, उसे देखते ही विहान के शरीर में बिजली का करेंट सा दौड़ गया। आँखें मानो चुधिंया गयीं। आँखें मूँद-खोलकर दुबारा देखा, कन्फर्म हो गया.. वही नाम था जो कभी विहान के लिए दुनिया का सबसे खूबसूरत नाम हुआ करता था.. 'मिहिका चौधरी'।
एक ही पल में गुजरे चार साल रील की तरह आँखो के सामने घूमने लगे। भूला-बिसरा सब कुछ फिर याद आ रहा था। विहान को अजीब सी बैचेनी होने लगी। ये उन दिनों की बात है जब उसकी फेसबुक पर आई.डी. नहीं हुआ करती थी। 'मिल्की' यही तो नाम दिया था। दूध सी गोरी मिहिका को उसने। दोनों प्रेम डोर से बँधी पतंगें बनकर अलग ही दुनिया में उड़ते रहते। विहान के लिए मिहिका पहली प्राथमिकता थी।मिहिका ने जब से शादी के लिए रजामंदी दी थी तबसे तो विहान सातवें आसमान पर था। कोर्स पूरा होने को था, बस जॉब मिलते ही तुरंत शादी। सब ठीक चल रहा था।
अचानक मिहिका ने फोन करके रिश्ता तोड़ने की बात कही और बिना कुछ सुने फोन काट दिया..।विहान के सर से आकाश ही उड़ गया हो.. सन्न रह गया था वो,फिर जैसे - तैसे खुद को सँभालते हुए पहुँचा मिहिका से मिलने, लाख पूछा ,मनाया, मिहिका टस से मस न हुई.. बस यही कहती रही, अब मुझसे मिलने मत आना..। क्या करता विहान,लौट आया हारकर, साथ में अपनी सब खुशियाँ भी हार आया। फूल जो खिलने से पहले मुरझा गया हो,ऐसा ही हो गया था विहान..। अकेले में रोता, सोचता, दुखी होता, इंतज़ार करता कि शायद एक दिन कभी मिहिका लौट आए पर जो होना नहीं था कैसे होता।
धीरे-धीरे किसी तरह एक साल गुजरा, लगता था जी नहीं पाएगा पर खुद को सँभाल लिया उसने। समय ने करवट ली, विहान की ज़िन्दगी में श्यामा आई। खुशमिज़ाज श्यामा मिहिका की तरह बहुत खूबसूरत तो नहीं थी पर उसके चेहरे की मासूमियत सहज आकर्षित करती थी। विहान तो अब भी मिहिका की यादों में डूबा रहता था।पर श्यामा की दोस्ती ने उसे खुद को सँभालने में मदद की।
समझदार श्यामा विहान की हर बात सुनती, समझती और उसे सँभालती। दोनों एक-दूसरे के साथ खुश रहते। एक दिन श्यामा ने विहान के सामने शादी का प्रस्ताव रख दिया.. उस वक़्त विहान मानसिक रूप से तैयार तो न था पर जानता था श्यामा वाकई बहुत अच्छी है, इसलिए विहान ने हाँ कर दी .. कुछ दिन में ही घरवालों की आपसी बात करा दी गई और दोनों की सगाई हो गई।
श्यामा का साथ पाकर विहान जैसे जी उठा था।श्यामा उसकी हर छोटी-बड़ी बात का ख्याल रखती। एक अच्छी दोस्त की तरह उसे समझती। विहान अपनी किस्मत पर फ़ख्र करता कि उसे इतनी अच्छी और सुलझी हुई जीवनसाथी मिली है। आज अचानक इतने समय बाद जैसे पुरानी किताब पर से धूल झड़ी हो.. ऐसे सामने थी मिहिका.. विहान ने सोचा प्रोफाइल पर जाकर देखना चाहिए कि मिहिका ने शादी की या नहीं.. फिर पूछना भी है कि उसने ऐसा क्यों किया..मजबूरी या कुछ और..बता भी तो सकती थी... तभी वाट्सएप पर पिंग हुआ, श्यामा का मैसेज था.." विहू बाबू आई लव यू सो मच.." और साथ में लव वाले इमोजी.. रिप्लाय करके होठों पर मुस्कान लिए विहान वापस फेसबुक पर आया और मिहिका की रिक्वेस्ट डिलीट करके उसे ब्लॉक कर दिया ..क्या हुआ क्यों हुआ क्या फर्क पड़ता है अब.. सोचकर, विहान श्यामा को फोन लगाने लगा। बादलों की धुंध से निकलकर चाँदनी धरती पर पिघल रही थी।