Ankita kulshrestha

Inspirational Others

2  

Ankita kulshrestha

Inspirational Others

नया हिन्दोस्तान

नया हिन्दोस्तान

3 mins
64


 शहर से गाँव तक साम्प्रदायिक दंगों की आग इंसानियत को झुलसा रही थी। सच्ची-झूठी कोई अफवाह कहाँ से उठी किसने फैलाई, इस सबसे परे, लोग लावा बनकर घूम रहे थे। पुलिस ने छावनी बना दिया था पूरा शहर..कुछ एक दिन बाद ज़िन्दगी फिर सामान्य होने की कोशिश कर रही थी। लेकिन दंगों की कड़वाहट अभी भी जायका बिगाड़े हुई थी ज़िन्दगी का..।

वहीं कहीं छोटे से गाँव किसनपुर में रहने वाले कक्षा नौ के छात्र दो जिगरी दोस्त रेहान और मदन की दोस्ती भी इन्हीं दंगों का शिकार हो गई थी। एक ओर जहाँ रेहान के भाई की मूँगफली का ठेला फूँक दिया गया था दंगाइयों द्वारा, वहीं मदन के पिताजी के साथ लूटपाट करके उन्हें बेरहमी से मारा पीटा गया जिससे वे बिस्तर पर आ गए थे..।

दोनों एक दूसरे की कौम को दोषी मानते - मानते जाने कब एक-दूसरे से भी विद्वेष मानने लगे थे। गुस्सा इतना काबिज़ था कि दोनों ही सोचते, बड़े होकर इस सबका बदला लेना है किसी भी तरह..।

कभी दिन भर साथ रहने - खाने वाले दोस्तों के बीच अजीब सी चुप्पी पसर गयी थी। स्कूल में सीटें बदल लीं थीं, अब पास नहीं बैठना था। कहीं कोई खुश नहीं था।

एक दिन स्कूल से आते वक़्त रेहान ने देखा दो आदमी बुरी तरह झगड़ रहे थे, भीड़ तमाशाई बनी देख रही थी, रेहान साइकिल रोककर उत्सुकता से देखने लगा। दोनों आदमी एक-दूसरे को गालियाँ देते हुए मारपीट कर रहे थे। तब तक मदन भी वहां आ पहुंचा और रूक कर देखने लगा..।

भीड़ में से आवाज़ आई," कैसे दो भाई घर - जायदाद के लिए एक-दूसरे के दुश्मन बने हुए हैं।"

तभी दूसरा कोई बोला,'मूर्ख हैं , ये भी नहीं जानते कि मिलकर रहने से ही बरक्कत होती है..। आपसी झगड़े का नुकसान तो मौकापरस्त तो उठाते ही हैं, साथ ही घर भी उजड़ जाता है..।"

ये बातें सुनते हुए मदन और रेहान एक-दूसरे को देखने लगे।

तभी झगड़ने वाले भाईयों की माँ चीत्कार करती दोनों के बीच में आई, उसके लिए दोनों ही उसके कलेजे के टुकड़े थे.. पर गुस्से के मद में उन दोनों ने माँ को भी परे ढकेल दिया.. माँ जख़्मी लुढ़की पड़ी थी, दोनों झगड़े जा रहे थे..।

एकाएक रेहान और मदन के दिमाग में दंगों की तस्वीरें घूम गयी.. आपसी दंगों से नुकसान हमारा और हमारे देश का ही होता है। और वो दोनों दोस्त भी तो नफरत की आग में सुलगकर इसी ओर बढ़ने की सोच रहे थे। आज इस झगड़े ने दोनों के मन पर पड़े नासमझी के परदे हटा दिए थे।

मदन और रेहान ने मुस्कराकर एक दूसरे को देखा और बिना कुछ कहे हाथ थामकर घर की और चल दिए अपनी अनगिनत बातों के साथ, ठीक वैसे जैसे दंगों से पहले करते थे। दोनों के चेहरे की हँसी में नया हिन्दोस्तां मुस्करा रहा था।

मकड़ी के जाल में फँसी तितली बहुत कोशिशों के बाद छूटकर उन्मुक्त हवा में बलखाती झूमती जा रही थी.. ठीक मदन और रेहान के ऊपर...।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational