STORYMIRROR

Shailaja Bhattad

Abstract

3  

Shailaja Bhattad

Abstract

मार्गदर्शन

मार्गदर्शन

1 min
212

"देखिए मैंने कितना नेक काम किया है, अपने घर के आँगन में पक्षियों के लिए नेस्ट लगाएँ हैं। सकोरों में पानी भर कर रख दिया है।" पर्यावरण के लिए योगदान पर पर्यावरणविदों के द्वारा घर-घर जाकर पूछे जाने पर एक घर का जवाब। "इतनी मेहनत की आपने"? "जी, प्रकृति की रक्षा के लिए इतना तो मैं कर ही सकता हूँ।" "क्या वाकई में यह प्रकृति की रक्षा में आपका योगदान है ?" " क्यों नहीं है? फिर मुझे क्या करना चाहिए?" "ज्यादा कुछ नहीं बस अपने इस आँगन में चार-पाँच पेड़ लगा लीजिए फिर भरपूर शुद्ध हवा का आनंद लीजिए, रही पक्षियों की बात तो वे अपना घोंसला बनाने में स्वयं सक्षम है, बस उन्हें पेड़ चाहिए। आप घोंसले बनाकर उनकी कोई मदद नहीं कर रहे वरन उनसे उनका हुनर छीन रहे हैं। जैसे पक्षी को पिंजरे में बंदकर आपने पहले से ही उसका उड़ने का हुनर छीन लिया है।" पिंजरे की ओर इशारा करते हुए कहा। "पक्षियों की बीट से अपना आँगन सजाने से अच्छा है, कि आप पेड़ों से झरते हुए फूलों से अपना आँगन सुगंधित बनाएँ और बीमारियों को खुद से दूर भगाएँ।" "अच्छे से समझ गया।" मुस्कुराते हुए उस घर ने जवाब दिया।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract