अतीत की यादें
अतीत की यादें
"सौम्या !जल्दी करो यार कितनी देर लगाओगी, तैयार होने में, पता चला हम शादी की सालगिरह की पार्टी खत्म होने पर पहुंचेंगे":- राहुल ने अपनी पत्नी से कहा
"अरे !यार आती हुँ, तैयार होने मे समय लगता है, चलो"- सौम्या ने कहा
चलो, तुम्हारी सहेली कहेगी, कि कितने लेट लतीफ है दोनों-राहुल ने कार में बैठते हुए कहा
अरे !नही राहुल वो तो बहुत ही सुलझी हुई और समझदार औरत है, मुझे तो लगता ही नही की हमको मिले सिर्फ दो साल हुए है, ऐसा लगता हैं, जैसे बचपन से जानती हूँ उसको, तुम मिलोगे तो खुद ही देख लेना, इतनी अमीर होते हुए भी पैसों का जरा भी घमंड नही-सौम्य ने कहा
पार्टी में पहुंचते सौम्या अपनी सहेली रश्मि के गले लगी और कहा, आओ राहुल मिलो ये है मेरी सहेली रश्मि।
राहुल और रश्मि की नजर जैसे ही एक दूसरे से टकराई दोनो जैसे पुरानी यादों में चले गए।
रश्मि अपने कमरे में खिड़की के पास उदास हाँथ में तस्वीर लिए एक टक निहार रही थी।
रश्मि की माँ सरिता जी उसे कब से आवाज लगा रही थी। आवाज लगाते हुए सरिता जी जैसे ही कमरे में पहुँची
तभी सरिता जी ने पीछे से रश्मि के हाँथ से तस्वीर लेते हुए कहा", बिटिया ये गलत है, आज तेरी शादी है। आज के बाद तू हमेशा हमेशा के लिए चंदन की हो जाएगी। अब चंदन ही तेरा प्यार और पति दोनों होना चाहिए। राहुल अब तुम्हारा कुछ भी नही। पूरे एक साल इंतजार किया, तुमने भी और तुम्हारे साथ साथ हमने भी, सच तो ये है, कि उसने कभी तुमसे प्यार किया ही नही, वो सिर्फ और सिर्फ दिखावा ही करता था प्यार का
नही मां !मेरा पहला प्यार तो हमेशा से ही राहुल है, और रहेगा.तुम राहुल पर गुस्सा मत होओ। मुझे पता है, उसकी जरूर कोई मजबूरी होगी। वरना वो वादा कर के कभी भी नही मुकरता। और उसने मैसेज में भी लिखा था कि उसके माँ पापा नही तैयार इस रिश्ते के लिए। तुम तो जानती हो ना।
हाँ !जानती हूँ राहुल जैसे लड़को को क्योंकि, मैं भी तेरी उम्र से ही होकर गुजरी हूँ। इसलिए मैं सिर्फ इतना चाहती हूं कि तू खुशी खुशी नए सफर की शुरुआत करें। अच्छा जाने दे इन बातो को बाहर कार खड़ी है। जा पार्लर चली जा तैयार होने।
रश्मि तो राहुल की यादों को दिल मे बसाए बैठी थी। उदास मन से वो कार में बैठी। कार पार्लर के सामने रुकी तो पार्लर के ठीक सामने कैफ़ेट को देख कर उसकी यादे ताज़ा हो गयी। ना चाहते हुए भी वो वहाँ पहुंच गयी। तभी उसकी नजर सामने बैठे राहुल पर पड़ी। जो एक औरत के साथ बैठा हुआ था.दूर से महिला का चेहरा नही दिख रहा था.पहले रश्मि को लगा कि ये उसका भ्रम है, लेकिन राहुल की आवाज सुनते यकीन हो गया, कि ये भ्रम नही सत्य है।
राहुल को देखकर रश्मि का मन हुआ, कि दौड़ कर गले लग जाये और पूछे कि उसदिन वादा कर के भी माँ पापा से शादी की बात करने क्यों नही आये।
तभी उसके कानो में आवाज़ पड़ी। राहुल एकसाल पहले, जो तुमने रश्मि के साथ किया, वो मेरे साथ तो नही करोगे ना, रश्मि को तुमने कितनी खूबसूरती से माँ पापा का नाम लेकर अपनी जिंदगी से निकाल फेका।
ओह्ह !तनुु रश्मि मेरे लिए इस टिश्यू पेपर की तरह थी। यूज़ एंड थ्रो। कभी भी राजा की शादी रंक के बेटी से नही होती। वो मामूली चपरासी की बेटी मेरी पत्नी बनने के लायक तो बिलकुल भी नही थी।
चटाक चटाक !जबतक राहुल कुछ समझ या सम्भल पता, दो थप्पड़ रश्मि ने राहुल के गाल पर सबके सामने जड़ दिए।
और कहा"मेरे माँ पापा बिलकुल सही थे। तुम सच्चे प्यार के क़ाबिल हो ही नहीं। काश पहले ही मैंने उनकी बात मान ली होती। चलती हूँ, अब तक तुम्हारी यादों में रश्मि एक बेवकूफ लड़की थी। अब पूरी ज़िंदगी इस थप्पड़ के लिए याद रखना। "
रश्मि दुल्हन के रूप में सज धज कर घर पहुंची। तो रश्मि का बदला रूप देखकर सरिता जी ने कहा"बस अब ये मुस्कुराहट ऐसे ही बनी रहे । तेरे चेहरे पर""थूथूथू, किसी की नजर ना लगे मेरी बेटी को। ""
हाँ, मां हां, अब तुम जो चाहती हो वही होगाऔर राहुल की फ़ोटो को फाड़ कर डस्टबिन में फेंक दिया, चलो माँ, और मन ही मन सोचने लगी कि काश मैंने पहले ही माँ पापा की बात मान ली होती।
तभी सौम्या के आवाज से दोनो की तन्द्रा टूटी, तुम लोग पहले से जानते हो क्या एकदूसरे को।
रश्मि ने कहा "नहीं, आओ पार्टी एन्जॉय करते है।"