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Shalinee Pankaj

Romance Tragedy

5.0  

Shalinee Pankaj

Romance Tragedy

एक दिन की मुलाक़ात

एक दिन की मुलाक़ात

4 mins
965


आज फिर वही तारीख, वही माह इत्फाक से दिन भी वही है। हर वर्ष ये तारीख ये माह आता है। साथ तुम्हारी यादों का काफ़िला भी आता है। कभी-कभी ये मौसम भी उसी तरह आता है जब हम पहली बार मिले। ठण्ड के बाद कि गर्मी की तपिस से सब परेशान थे। तुम्हें देखते ही मैंने आँखे बंद कर ली थी! जाने क्यूँ, और जब आँख खुली तो ठंडी हवाएँ चल रही थी जो तुझे छूकर मुझ तक पहुँच रही थी।

आज फिर 9 मार्च और ...तुम्हारी यादों के भँवर में उलझ मैं अतीत में चली गयी।

एक कार्यक्रम में हम मिले। कई बार आमने-सामने हुए, मैं तुम्हारी तरफ देखते रहती, पर तुम अपने काम में मग्न रहते। दोपहर में भोजन के समय इत्फाक से हम साथ हो गए। इसी तरह पूरे कार्यक्रम के दौरान हमारी मुलाकात होती रही। तुम सहज ही थे, अपने में व्यस्त और मैं जाने क्यूँ तेरा सानिध्य की तलाश करती। शायद उम्र का कुछ फासला था ! तुम्हारी परिपक्वतापूर्ण व्यवहार मेरे दिल को छू जाता। मैं बारहवीं में और पी.जी.अंतिम वर्ष में तुम थे। उस दिन कई बार हमारी नोकझोंक भी हुई। कुछ पूछने पर बिना मेरी तरफ देखे तुम्हारा उत्तर देना। मुझे अच्छा लगने लगा। खैर वो दिन हमारी जिंदगी की प्रथम मुलाकात थी। मुझे विश्वास था हम कई बार मिलेंगे और जाते हुए तुमने मुझे अपना नम्बर दिया, पर मेरा लिया नहीं।

बस, यही कहा "कभी जरूरत पड़े तो कॉल करना।" जाने किस मिट्टी के बने थे तुम ! पर जैसे भी थे तुम्हारा स्वभाव अच्छा लगा।

कुछ दिनों तक सोचती रही और फिर एक दिन कॉल किया, लगा जैसे तुम्हें मेरे कॉल का इंतजार था। जाने कब हमारी बातों का सिलसिला शुरू हुआ। तुम्हारी मीठी आवाज में दिल कहीं खो जाता। जब तुम्हारी आवाज सुनती तो लगता मधुर संगीत बज रहा हो, तुम कभी फोन ही न रखो बस पूरा दिन तुम्हारी आवाज सुनती रहूँ, ऐसा लगता था। शायद ये उम्र ही ऐसी कुछ थी। हम अक्सर बात करने लगे। तुम्हारा मैसेज भी आता। तुमसे बात करना एक आदत सी बन गयी।

हमारी बातचीत में भी एक दायरा था। तुम्हारे कैरियर, मेरी पढ़ाई की चिंताएं थी। कभी तुम्हारे रिश्तेदार, कभी दोस्तो की पलटन और मेरी बातों में मेरा परिवार था। सबकी बातें करते पर न कभी मैंने ये कहा कि तुमसे बात करना अच्छा लगता है मुझे। न फोन में कभी मुझे तुम्हारी दिल की धड़कन सुनाई दी। हाँ पर हमारी बातों के साक्षी ये हवाएँ, ये मौसम, वक्त, दिन और दिमाग में चल रही बातें, आस-पास गूँजता कोई संगीत, तुमसे बार बार बात करने पर, मेरी सहेलियों का चिढ़ाना, सब याद रहा औऱ आज भी याद है।

जाने क्यूँ नहीं महसूस कर पाई, तेरी आवाज में मुझे सुनने की चाह कभी ! कभी-कभी तुम मुझे भाव शून्य लगते, जैसे तुम्हारे पास दिल ही न हो।

हमारे बीच दूरियाँ आ गयी वक्त के साथ। मेरी स्नातक परीक्षा का समय आ गया और तुम भी थोड़े व्यस्त हो गए।हमारी बातचीत अब कम हो गयी। मैसेज भी अब कभी-कभी आता। कुछ समय बाद तुम बाहर जॉब के लिए चले गए। मैसेज, बातचीत सब बंद हो गया।

मेरी पढ़ाई पूरी हो गयी। शादी के लिए रिश्ते आने लगे और एक दिन सगाई हो गयी। शादी के कार्ड छप गए।कुछ दिनों बाद शादी थी। कुछ कार्ड में अपने टीचर और दोस्तों का नाम लिख रही थी कि अचानक तुम याद आये। उस समय मैं अपनी सहेलियों के साथ बाहर थी। तुम्हारी याद आते ही एसटीडी.पीसीओ.से कॉल की और खुश होकर तुम्हे बताई की मेरी सगाई हो चुकी है और कुछ दिनों बाद शादी है।

"शादी है।"

इतना सुनते ही तुमने कहा- "मत करो शादी।"

मैंने पूछा क्यों ?,

क्यों मत करूँ शादी ?

तुमने कहा- "बस मत करो।"

औऱ फिर मौन हो गए। तुम्हारे घर का पता लेना था, शादी का कार्ड भेजने के लिए, पर नहीं ली। वो हमारी अंतिम बातचीत थी।

तुम्हारी बातें दिलो-दिमाग में गूँज रही थी और अंततः विवाह नहीं कर कितने बड़े तूफान का सामना की ! घर में तनावग्रस्त माहौल हो गया। किसने क्या कहा ! कुछ सुनी नहीं सिर्फ तुम्हारी कहीं बात बस दिल में उतर गई, कि कुछ और फिर याद ही नहीं रहा।

सब किस्मत पर छोड़ ..बस इक इंतजार तेरे दीदार का। जिस्म में साँस के विदा होने के पहले तुम जरूर आओगे विश्वास है।

हमारी पहली मुलाकात ही हमारी अंतिम मुलाकात थी। एक शहर में होकर भी हम कभी नहीं मिले। तुम्हारे दिल की बात मैं कभी नहीं जान पाई। ये अलग बात है कि बरसों बीत गए। भूलने की कोशिशों में मुझे आज भी तुम्हारा नम्बर याद है। जिसे कभी मैं डायल नहीं करने वाली। न मैंने आज तक अपना नम्बर बदला की कभी न कभी तुम जरूर कॉल करोगे। आज भी वाट्सएप्प की डी.पी. में मेरी वही पुरानी फ़ोटो है जिस दिन हम मिले थे। तुम्हारे स्वभाव के विपरीत तुमसे उम्मीद करना गलत है, फिर भी उम्मीद पे जिंदगी है। जिस हक से मुझे शादी के लिए मना किये थे, उस हक से ही सही मुझे तुम्हारा इंतजार है, हमेशा रहेगा।

शायद तुम्हें कभी भूल न पाऊँ। ये मौसम, ये तारीख हर वर्ष आएगी और मुझे तुम्हारी याद दिला जाएगी। सिर्फ एक दिन की मुलाकात जिसे मेरे जेहन में अमर करती है आने वाले हर वर्ष।


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