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पैसों का खेल

पैसों का खेल

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"अरे बेटे, टाई लगाके जाना और बीच में मंदिर भी होते जाना।" माँ की आवाज़।

"हाँ, माँ, चलता हूँ, चल रिषि, आज देर नहीं करनी हैं यार आज बस देर से ना हो बस।"

(बस में)

"97%, अरे ये कम नहीं होते पता हैं, कितनी मेहनत की है, ये तो मुझे ही पता है, माँ ने भी मेरे लिए कितना किया हैं, बस नौकरी के बाद एक घर ले ले तब माँ को सुकून होगा।"

"हे भगवान (मंदिर पहुंच कर) आज बात बना देना बस, इंटरव्यू अच्छा जाए, इतनी ख्वाहिश पूरी करना।"

कनिश इंजीनिरिंग हाउस, जानी मानी कंपनी। 

जल्दी से रिसेप्सनिस्ट के पास गया।

लड़की- "जॉब के लिए आये हो ? इंटरव्यू ?"

मैं- "हाँ"

लड़की, "सॉरी, इंटरव्यू रद किया हैं एक ही जगह खाली थी भर गई।"

मायूस सा मैं नीचे उतरा, तब चपरासी सा आदमी मिला (मेरे हाथ में फाइल देख के) भइया इंटरव्यू के लिए ये कागज़ कुछ ज्यादा मायने नहीं रखते।

"पैसा हो तो बोलना आज  वही हुआ है।"

दिल पे ये बात लग गई, आँखे भर आयी, सोचा ना था की ऐसा होगा ! (कागज़ों को देखते हुए) "97%के सामने आज पैसा बाज़ी मार गया।" आप ही बताओ अब माँ को क्या जवाब दूँ ? ये आँसू की क्या वजह ? ये डिग्री या पैसों का ना होना ? आप ही बताओ।


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