अब चलाओ आरी...
अब चलाओ आरी...
राहुल जब छोटा था, तब उसके पापा ने एक नीम का पेड़ उसकी सालगिरह पे उगाया था। राहुल खुश हुआ था। हर रोज पानी डालता अपने छोटे हाथों से, एक दोस्त सा रिश्ता बन गया नीम के साथ उसका , हर रोज़ बाते करता। एक लगाव सा हो गया राहुल को।
एक दिन ऐसा आया की राहुल के पापा को वो मकान बेचना पड़ा। राहुल वो बढ़ते हुए नीम को गले लगाकर खूब रोया। उसके पापा ने नजदीक में ही एक मकान किराये पे ले लिया, ताकी राहुल आपने दोस्त को देख सके।
कुछ दिन बाद मकान मालिक रहने आए। उन्होंने वो पेड़ कटवाना चाहा और 2-3 कठहरे को बुलाया।
वो आरीवाला मशीन ले के आ गए। राहुल ने देखा के वो पेड़ काट रहे है, वो दौड़ लगा के वहां चला गया।
फिर अपने पेड़ को लिपट गया "ये तो मेरा दोस्त है मत काटो उसे "वो हिचक के रह गया। एक आदमी ने छोटा बच्चा समझ के हटाने का प्रयत्न किया, पर राहुल टस से मस ना हुआ। "दूसरा पेड़ दे देंगे तुझे "यह भी समझाया पर वो तो पेड़ थोड़ी था?..दोस्त था। ये सब देख राहुल के मां बाबा को बुलाया। दोनों दौड़ के आए।
"मेरे दोस्त को काट रहे है..."और जोरों से रोने लगा। फिर तो क्या राहुल की मां आगे आई और वो भी पेड़ को लिपट गई। ऐसा देखना था, तभी राहुल के पिता आए और लिपट कर बोले "अब चलाओ आरी...।"
सारे कठहरे के हाथ से आरीवाली मशीन गिर गई। तभी बहार से घर का मालिक आया। और सारा मामला देखा और रोते लड़के की आँख में जो नीम के लिए मोहब्बत देखी वो बोल पड़ा "आरी नहीं चलेगी बेटा..."
"अंकल..ये मेरी तरह ही है जिन्दा.....मेरा दोस्त.."
"हाँ बेटा...पेड़ नहीं काटने चाहिए "
राहुल खुश हो गया और मकान मालिक को लिपट गया।
तभी पेड़ पे से एक गिलहरी आई और राहुल के पास से गुज़री। "तू भी यही रहना, मेरे दोस्त के साथ ध्यान रखना उसका..."।
और सब हंस पड़े।