बौनी उड़ान...
बौनी उड़ान...


भरतपुर का जंगल की तरफ का इलाका..
एक पंछी कैद था, मालिक ने उसे पिंजरे में रखने की जगह रूम में रखा था, और ऊपर छत की जगह लकड़ी की जाली थी। वह खुश था। दाना पानी और
ऊपर जालीवाला आसमां। पूरा कमरा उसका था।
एक दिन एक कठफोड़वा(woodpaker) वहां आया उसने देखा की वो पंछी कैद में है...उसने लकड़ी की जाली पे बैठ उससे बातें शुरू की..दो दिन में दोस्ती हो गई..तब कठफोड़वे ने कहा.."क़ैद में भी खुश हो तुम ??"
"कभी आसमां की उड़ान की है??"
तब पंछी बोला नहीं दोस्त मैं यहाँ खुश हूँ ..ऊपर आसमां दीखता है और क्या चाहिए?"
तभी कठफोड़वे ने कहा "ये बौनी उड़ान भरना छोड़ दो।
बाहर आके देखो ये दुनिया कितनी बड़ी है और ये खुला आसमान..और सारे पंछी हमारे दोस्त।"
तब पंछी को समझ आया के ये मेरी असली ज़िंदगी नहीं है..तभी उसने कठफोड़वे को बाहर निकाल ने को बोला।
रात को कठफोड़वे ने अपनी चोंच से कमरे की एक कोने की लकड़ी की छत को तोड़ना शुरू किया और थोड़ी देर में काफी बड़ा लकड़ी का हिस्सा काट दिया। और उस पंछी को बाहर आने को बोला और वो पंछी फर्रर्रर्र .. से उड़ कार बाहर आ गया। और खुला आसमां देख उसके आँख से आँसू आ गए और बोला..."आज तक उस कमरे की अपनी बौनी उड़ान को ही असली ज़िंदगी समझ रहा था। मगर असली ज़िंदगी तो खुले आसमान की दोस्तों के संग लम्बी उड़ान होती है। फिर दोनों आसमां में ख़ुशी से उड़ने लगे।