श्राद्ध
श्राद्ध


एक साल हुए सुमनलाल को मरे हुए...
आज उनका श्राद्ध था...
उनको खीर बहोत पसंद थी... इसलिए रसिका, गौरव और उनका बेटा... खीर लेके छत पे गए...
रसिका ने एक कटोरे में खीर डाली... तब... उसका बेटा बोला, "माँ आप तो दादाजी को कभी खीर नहीं देती थी, आज भी नहीं देनी चाहिए ना।”
गौरव अपने बेटे की बात सुनता रहा और रसिका को तीखी नज़र से देखता रहा...
रसिकाने नज़रे चुराली और बोली... "बेटे मरनेके बाद सभी की इच्छा पुरी होनी चाहिए..."
“माँ तो फिर हमें दादाजी को पहले ही खीर खिलानी चाहिए थी..."
और फिर आसमान की तरफ देख कर बोला "दादाजी सॉरी..."
और गौरव उस भोले बेटे को देखता रहा...