लाल सिगनल
लाल सिगनल


सुबह सुबह ये क्या पापा .?आप ये सिगरेट पीना छोड़ दो गलत है तबियत ख़राब होगी उसपे ये लाल निशाँ है इंजीरिअस फॉर हेल्थ लिखा है." सुमित बोला
क्यूँ सुबह सुबह खिटपिट करते हो तेरे पापा नहीं मानाने वाले " सुजाता चिल्लाई।
सुमित के पापा यानि की अजय किसी की नहीं सुनता था .ठीठ था पूरा ये सिगरेट की लत बुरी थी ये भी जानता था फिर भी नहीं छोड़ रहा था।
कार में चला जा रहा था अपनी पत्नी सुजाता के साथ दोनों चुप थे सुबह की खिटपिट की वजह से तभी चौराहा आया .चौराहे पे लाल बत्ती थी सो गाड़ी रोक दि तभी कुछ सोच के सुजाता बोली क्यूँ गाड़ी रोकी ?
अरे अजय जोर से बोल पड़ा की" रेड सिग्नल है पुलिस पकड़ेगी गलत होगा अगर निकले तो "
"अच्छा .ये रेड सिग्नल दीखाई देता है पर सिगरेट के पैकेट पे नहीं !!" सुजाता बोली
अजय ने कुछ जवाब नहीं दिया दोनों किसी रिश्तेदार की खबर लेने अस्पताल निकले थे।
अस्पताल में तरह तरह के दर्दी दाखिल थे तभी एक स्ट्रेचर पे लिटाए एक बहोत ही गंभीर हालत का एक दर्दी को दाखिल करना था बचने की कोई गुंजाईश नहीं थी। एक्सीडेंट का केस था
सुजाता और अजय से देखा ना गया बुरी तरहासे सर पे चोट थी और पूरा शरीर लहू लुहान
उस दर्दी के पास एक औरत रो रही थी सुजाता से रहा ना गया पूछ लिया के क्या हुआ .तब वोह औरत फूटफूट के रोने लगी और बताया।
"मेरा पति है हमेशा सिग्नल तोड़ के जाता था पता था की रेड बत्ती में निकला और सामने से निकली गाड़ी ने ठोक दिया जो अनपढ़ होते है वोह लोग भी लालबत्तीका मतलब समझते है.पर ये हमें दुखी करके ही छोड़ेगा. अब नहीं बचेगा बोल के फिर से रो पड़ी "एक ही बेटी है अब गुज़ारा केसे होगा?"अजयका दिल भी दहल गया
सुजाता ने अजयके सामने बड़ी तीखी नज़र से देखा अजय ने नज़रे चुरा ली जैसे सुजाता की नज़र काट रही थी.दोनों फिर रिश्तेदारकी खबर लेके चले गए
दोनों गाड़ी में फिर चुप थे फिर वही लाल बत्ती।
आई अजयकी नज़रसे अब वोह लालबत्ती हटती नहीं थी और वोह दर्दी भी. उसने तुरंत खिड़की खोली और गाड़ी में पड़े दो सिगरेट के पैकेट को नफरत से दुर फेक दिया .और बोला ."सुजाता. में तुज़से बहोत प्यार करता हु और जीना भी चाहता हु हमें अभी सुमित के लिए भी बहुत कुछ करना है.आज से अरे अभी से ये सिगरेट बंध. मुझे कुछ हो गया ."सुजाता ने रोते हुए अजय को बीच में से ही काटके बोली "मरे मेरे दुश्मन तुझे कुछ नहीं होगा तु लाल निशाँ.का मतलब सही आज समझा यही मेरे लिए बहोत है "
तभी हरी बत्ती हुई। सामने चौराहे पे भी और अजय के जीवन में भी इसे कहते है सुबह का भुला शाम को घर वापस आया।