तब पंछी को समझ आया के ये मेरी असली ज़िंदगी नहीं है तब पंछी को समझ आया के ये मेरी असली ज़िंदगी नहीं है
उसकी खुबसूरती ही उसकी सबसे बड़ी दुश्मन थी। यहाँ भी उसे क़ैद ही नसीब हुआ। उसकी खुबसूरती ही उसकी सबसे बड़ी दुश्मन थी। यहाँ भी उसे क़ैद ही नसीब हुआ।