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स्टेटस अपडेट... उपस्थित

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साधना जी आज खिड़की के किनारे बैठी हाथ में चाय का कप ली पुरानी यादों को याद कर रही थी। कैसे राजेश जी पूरे घर को यह खुशी का माहौल देते थे। हँसना हँसाना कितनी भी परेशानी हो, कभी नहीं भूलते थे। पूरा घर चहल पहल से गूंजा रहता था। बस उनका एक सपना था नील। नील जब आप दस साल का ही होगे, जब राजेश जी इस दुनिया से चले गए। नील में बिल्कुल आपने पिता के गुण नहीं थे। फिर भी साधना ने उनके सपने को पूरा करने के लिए जी जान लगा दी। सरकारी नौकरी में थे तो उनकी जगह एक क्लर्क की नौकरी साधना जी को मिल गई थी ।


 नील को को सब कुछ देने की कोशिश करती जो नील चाहता था। और इस वजह से नील जिद्दी हो गया। उसे माँ की मेहनत कभी दिखाई नहीं दी । 

फेसबुक मेनिया था। जुनून था, स्टेटस अपडेट का। जैसे आजकल शौक है। एवलेबिल, उपस्थित, ट्रैवलिंग, आउटिंग, पार्टी‌ और भी बहुत। आज जिसे भी देखो दिखावे में फोटो डालता है। वो और ना जाने कितने दुनिया को दिखाने में लगे है कि देखो, हम कितना सुखी जीवन जी रहे हैं। बड़े होटल में जा रहे हैं। और ना जाने क्या क्या! चाहे घर में वो सब ना हो जो दिखा रहा है। 


नील भी उनमें से एक था। नौकरी पाकर ही उसने अपनी मनपसंद लड़की से शादी की और बस बाहर घूमना फिरना। माँ ने खाना खाया या नहीं खाया, इसका उसे कोई मतलब नहीं था। नील की पत्नी भी नील की तरह कोई ममता, साधना जी के लिए नहीं थी।

वह भी सुबह ऑफिस जाती शाम को लौटती और सुबह फिर काम पर चली जाती शनिवार, इतवार फोन का पहले से ही प्रोग्राम तय रहता कहीं घूमने का कहीं बाहर खाना खाने का। जरूरी बातें ही होती।

साधना जी के लिए कभी कभी कुछ पैक करा कर ले आया करती थी और एक दिन ऐसा भी आया दोनों की नौकरी दूसरे शहर में हो गई। साधना जी वह घर छोड़ना नहीं चाहती थी और बच्चे वहां रुकना नहीं चाहते थे। समय की मांग को देखते हुए साधना जी वही रुकी और दोनों दूसरे शहर में चले गए।


साधना जी उम्र के हिसाब से ही उनकी तबियत ढलती जा रही थी। कभी कभार दोनों का फोन आ जाया करते थे। साधना जी घर बुलाती तो उनके पास पचास बहाने थे या कभी आते हैं सुबह आते और दो-तीन घंटे में लौट जाया करते थे। वह प्यार मोहब्बत नाम की चीज नहीं थी कि माँ के पास दो चार दिन रह कर गुजार दिए जाते। शुरू में तो साधना जी से बिल्कुल रहा नहीं गया था धीरे-धीरे उनको आदत पड़ गई।

आज नील फेसबुक फ्रेंड लिस्ट में 300 दोस्त हैं।

 स्टेटस हमेशा एवलेबिल (उपस्थित) लगा है। पर अपनी माँ की जिंदगी में, ना जाने कब से अनुपस्थित(अनएवलेबिल )है।


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