इजहार और इनकार
इजहार और इनकार
दिल में दफन है जज्बे बहुत
उसका इजहार करूँ कैसे
तुम हो इतने दूर मुझसे
तेरा दीदार करूँ कैसे।
सबने दिया मुझे धोखा
तुम्हारे इश्क का
एतबार करूँ कैसे
तुमसे है मुझे बेइंतहा प्यार।
लफ्जों में इसका
इजहार करूँ कैसे
सोचती हूँ तुम्हारी इस
पाक मुहब्बत को
इनकार भी करूँ कैसे।