दिल में कैद मोहब्बत
दिल में कैद मोहब्बत
वो देख नहीं सकते मोहब्बत हमारी,
क्योंकि दिल में इसे कैद किया है।
जब भी किया है चाहत हमने,
किसी उम्मीद के बगैर किया है।
कैद हैं दिल सभी के लिए पर
सिर्फ उनके आने की इजाजत है।
समझ जाएंगे वो शायद कि,
कैसी हमारी मोहब्बत है।
कमजोर थे वो पढ़ने में जो कि,
दिल का लिखा भी ना पढ़ सके।
माहिर थे खेलने में शायद जो कि,
जज्बातों से ही खेल गए।
वक्त गुजारा साथ मेरे लेकिन,
जिंदगी किसी और के नाम किए,
निकल आये वहाँ से लेकिन
इश्क़ की गलियों में बदनाम हुए।
कैद किया था कभी चाह में उनको,
दिल के ताले को वो तोड़ बैठे,
रिहा कर दिया उनको हमने तब,
जब उम्मीद सारी छोड़ बैठे।