तुझे ढूंढ़ता हूँ !
तुझे ढूंढ़ता हूँ !
तुम और तुम्हारा चेहरा,
जैसे चाँद का मुखड़ा और चाँदनी रात,
मनमोहक दृश्य, खुले आसमान,
और भावनाएं आकाश सी,
जो अपने व्यापक रूप से सबको सम्मोहित करता है।
जैसे, लगती हो तुम हिमाकर का टुकड़ा
जब सूर्य की रोशनी तेरे खूबसूरत चेहरे को
अपने प्रकाश से प्रज्वलित करती है तब।
मैं, मैं नहीं होता हूँ
तुझे पाने के सपनों को, सीने से समेटे हुए।
और अपने अरमानों को पंख देते हुए।
जब तेरी गहराईयों को भांपने की कोशिश करता हूँ
तब, तेरी खूबसूरती का एहसास होता है और
तेरे कोमल हृदय में पुलकित भावनाओं का।
फिर
मैं अपने, आप को भी भूल के,
तुझे ढूँढने की कोशिश करता हूँ !