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प्रियम श्रीवास्तव

Inspirational

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प्रियम श्रीवास्तव

Inspirational

बारिश

बारिश

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बहुत दिनों के बाद आज बारिश हुई,

तपती धरती को भिगोने जैसे सावन की झड़ी आयी-

मन में अजीब सी बेचैनी थी,

एक एहसास पनप सा रहा था,

एक दूसरे से मिलने को,


खिड़की से सटके जब बाहर का नज़ारा देखा,

उस बारिश की हर एक बूँद जब खिड़की के काँच पर,

अपने छाप छोड़ने को आतुर थे,

सच बताऊँ, मेरे अंतर्मन की हर एक साँस की यही पुकार थी

चलो आज बारिशों से रूबरू होते है,

इनकी आवाज़ को कोई सुनता नहीं,

चलो आज इन्हें भी सुनते है


ये घने हुए बादल, हलके काले व्योम से टपकते हुए ओस

कभी अचानक से छटते बादलों के बीच नीले- नीले अम्बर,

और इनके ऊपर मनमोहक इंद्रधनुष का दृश्य

ये नभ में बनते ये नज़ारे

कैसे कोई रोक सकता है खुद को


जब सातो रंगों से बने इंद्रधनुष,

अपने हर एक रंग से,

हमें रोमांचित करती है

और बस यही पुकारती है,

मेरे रंग में रंग जा,

और दूसरे को भी रंग कि न रहे कोई भेदभाव

रंगों के आधार पर बाटे जाते है,

चाहे वो रंग भगवा हो, लाल हो पिला हो या हरा

ये मन!!


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