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प्रियम श्रीवास्तव

Romance

4  

प्रियम श्रीवास्तव

Romance

तेरे नाम भर से

तेरे नाम भर से

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तेरे नाम भर से,

मैं रोमांचित हो जाता हूँ

औऱ फिर,

खुले आसमान के नीचे,

चाँदनी रात में

बुनता हुआ मैं

अनगिनत ख़्वाब

तेरे लिए

तेरे साथ के लिए।


मेरे आँखों को,

बस तुझे देखने की चाहत,

औऱ तुमसे मिलने की ललक,

जब मैं आँखें बंद करता हूँ,

मुझे सुनाई देती है

तेरे आने की दस्तक़

तेरे पायल की खनक

मेरे कानों में उसका

मधुर गुंजन।


औऱ फिर

मेरी आँखों में चमक

बढ़ी हुई मेरी धड़कनें

खिली हुई बाँछे

होठों पे प्यारी सी मुस्कान

औऱ लबों पे मेरे

हकलाते, तेरा

बस तेरा ही नाम

बस तेरा ही नाम

बस तेरा हीं नाम !


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