ख़याली पुलाव
ख़याली पुलाव
जानता हूँ, तुमसे मिलना
अब मुमकिन नहीं
फिर भी
ख़याली पुलाव पकाने में क्या जाता है!
आओ, थोड़ा सा तुम भी चख लो
इसमें तुम्हारा ही मसाला डला है
तेज़पत्ते का स्वाद तुम्हारी उँगलियों सा है
इसका चावल तुम्हारे होंठों सा मीठा है
चख लो थोड़ा सा
शायद तुम्हें भी यक़ीन हो जाए
कि क्यूँ मुझे तुम्हारा ख़याल पसन्द है
और क्यूँ मैं तुम्हारे नाम का
ख़याली पुलाव पकाता रहता हूँ
इसमें कुछ हरी मटर भी डली है
तुम्हारी उछलती कूदती बातों की तरह
जिन्हें दाँत के नीचे रखके काटने की कोशिश करता हूँ
लेकिन तुम ख़रगोश की तरह
हमेशा बच के निकल जाती हो
इसमें तुम्हारे ग़ुस्से की थोड़ी सी लौंग भी है
चख लो, तुम्हें अपने ग़ुस्से का स्वाद मिलेगा
मेरी आँखें तो निगल जाती हैं वो पानी
जो तुम्हारी ठोकर से आता है
मेरी कुछ अजीब सी बातों की इलायची भी है इसमें
जो तुम्हें हमेशा सोचने पे मजबूर कर देती थीं
कि क्या करूँ मैं इस लड़के का!
आओ, इस पागल लड़के ने तुम्हारे लिए
गरम-गरम ख़याली पुलाव बनाया है
इसमें से मेरे जज़्बातों की भाप भी निकल रही है
अच्छा, कम से कम सूँघ ही लो
क्या पता, मैं इसकी महक के साथ
तुम्हारे दिल तक पहुँच जाऊँ
पाँच फ़ीट, छः इँच का जिस्म सँभालना
तुम्हारे लिए मुश्किल था, मैं समझता हूँ
कहो तो, मैं किसी के हाथ से भेज दूँ
तुम्हें आने में दिक़्क़त होगी
अब सिर्फ़ एक ख़याली पुलाव के लिए
तुम कहाँ उतनी दूर से आओगी
तुम्हें ट्रेन की आदत भी तो नहीं है
तुम्हारा वो कहना, आई हेट ट्रेन्स, मुझे याद है
कहो, तो हमेशा की तरह मैं ही आ जाता हूँ
वहीँ, तुम्हारी बिल्डिंग के नीचे से
अपने ख़याली पुलाव की जज़्बातों से भरी भाप
तुम्हारी खिड़की की तरफ़ फूँक दूँगा
तुम बस हमेशा की तरह अपनी खिड़की पे आना
और वहीँ से मेरे जज़्बातों को सूँघ लेना
और स्वाद अच्छा लगे तो मुस्कुरा देना
मैं समझूँगा मेरी मेहनत सफल हुई
ख़याली पुलाव बनाना कोई आसान काम नहीं है
कभी हाथ आज़माओ
इसमें पूरी की पूरी ज़िन्दगी तबाह हो जाती है
और हाथ क्या आता है
बस, ख़याली पुलाव
जिसका चावल, मसाला, तेज़पत्ता, लौंग, इलायची कहीं और होता है
और बनाने वाला हाथ में ख़ाली प्लेट लिए
अपने ही ख़याली पुलाव की महक सूँघता रहता है, मेरी तरह
आओ, कभी देख जाओ
मेरा कमरा, तुम्हारे नाम के ख़याली पुलाव से भर गया है