कहानी दो सिपाहीयों की
कहानी दो सिपाहीयों की
दो सिपाहियों की कहानी
आइए आज सुनते हैं
सोनिया की ज़ुबानी …
एक हिन्दोस्तान …
एक पाकिस्तान …
सिपाही उनका भी …
सिपाही अपना भी …
ज़िंदगी उसकी भी …
ज़िंदगी अपनी भी …
एक अभिनंदन अपना भी …
एक अभिनंदन उनका भी …
जब मारा एक विमान से,
एक विमान को,
दोनो गिरे, दोनोे टूटे,
दोनो बिखरे, दोनों छूटे,
एक ही धरती …
एक ही दहलीज़ …
एक गिरा पराई पर …
एक गिरा सोनिया
अपनी ही माँ,
अपनी धरती पर …
सिपाही की जान बचाना,
काम हो गया एक का,
सिपाही को मार,
नामोनिशन मिटाना,
काम हो गया एक का….
कहानी बनी दोनों की,
ख़ून की धारा बही दोनों की,
एक को दुश्मन ने मारा,
एक को अपनों ने ही,
मौत के घाट उतारा।
क्या कहेंगे आप !
क्या क्या कहेंगे आप !
जो अपना अपनों का नहीं !
वो हमारा ?