राजेश
राजेश
फासला चाँद बना देता,
हर पत्थर को,
मेरा दोस्त जिंदा कर दिया,
मरे हुए हर उन अक्षरों को।
जो सदियों पहले,
जिया करते थे,
जिससे इंसान भगवान,
बना करते थे।
मेरा दोस्त,
हर उन अक्षरों को,
जिंदा कर दिया,
मेरा दोस्त,
अपनी परछाईं से,
मेरे सामने भगवान को,
ला खड़ा कर दिया।
मुसीबत के वक्त,
इंसान के चारो ओर,
अँधेर छा जाती है,
यहाँ तक परछाईं भी,
साथ छोड़ जाती हैं।
लेकिन मेरा दोस्त,
मेरे साथ रहा खड़ा,
मेरे लिए वह भी,
मेरे साथ लड़ा।
लम्बी चली मेरे,
कष्टों कि घडी,
नहीं टूटी हम दोनों की,
साहस की कड़ी,
हम दोनों की साहस से,
सारी मुसीबतें डरी।
दे दिया वह दोस्ती का,
नया उदाहरण,
दे दिया वह मुझे लम्बा,
जीने का एक कारण,
दे दिया वह दोस्ती,
जीने का कारण।