बोलो पापा मैं क्या करूँ
बोलो पापा मैं क्या करूँ
गर्व करूँ या शर्म करूँ,
बोलो पापा, मैं क्या करूँ।
दर्द सहूँ या मर जाऊँ,
बोलो पापा, मैं क्या करूँ।
खुद हमसे लिपट कर
सो गए, हमारे लिए
कितना सरल सवाल छोड़ गए।
सुख-दुःख का पाठ
पढ़ाया करते थे।
जीवन का चक्रव्यूह तोड़ना
सिखाया करते थे।
हालात क्या थोड़े से बिगड़ गए,
तुम फाँसी पर जा लटक गए।
बोलो पापा, मैं क्या करूँ,
गर्व करूँ या शर्म करूँ,
दर्द सहूँ या मर जाऊँ,
बोलो पापा, मैं क्या करूँ।
आदर्श तुम्हें मैं मानता था,
तुम हो रक्षक यह जानता था।
पर तुम ...
बोलो पापा, मैं क्या करूँ।
और ना है मुझ में हिम्मत,
कुछ कह सकूँ।
क्यों कि मेरी माँ ने
बड़ों से सवाल करना
ना सिखाया है।
पर पापा ने पीठ दीखाना
सिखाया है।।