पहली बारिश और तुम
पहली बारिश और तुम
पहली बारिश की पहली बूंद का धरती को
छूना और तुम्हारा वो पहला चुंबन
की तुम याद आ गए..
बरसात की बूंदों से एक दर्द उठा आज
करारा की तुम याद आ गए..
छम छम बौछार से एक तप्त आह उठी
की तुम याद आ गए..
मेरा घरघराती बारिश में भीगने पर
वो तुम्हारा हथेलियों से मेरे सिर पर
छत बनाना की तुम याद आ गए..
तड़ीत की गूँज से मेरे दिल की
तन्हा सदाएँ सुनाई दी की तुम
याद आ गए..
बादलों के साये में उभरी तस्वीर जो
तेरी अनूठी की तुम याद आ गए..
चाँद जो छुपा बदली की ओट में वो
तेरी आगोश में छुपना मेरा शरमाकर
की तुम याद आ गए..
कभी बादलों का गरज कर बिन बरसे
चले जाना और तुम्हारा बेरुखी का
आलम ज़ालिम की तुम याद आ गए..
आग लगाती बारिश के मौसम में हरजाई
सनम तुम बहुत ही याद आ गए।।