Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

स्मृति श्रृंखला

स्मृति श्रृंखला

1 min
13.5K


घनघोर वर्षा की धुन सुनकर,

उड़ता मन स्मृति के पंख लगाकर।

मेघकन्या के अश्रु सम गिरता जल

अनजाने ही स्पर्श करता हृदयतल।


हृदय जो समुद्र है स्मृतियों का

उठता जिसमें तूफान व्यथा का,

व्यथित अश्रुओ की वर्षा सम झड़ियाँ,

खोलती अकस्मात स्मृति की कड़ियाँ ।


भूत-कंकाल साया बन लहराता,

कभी अश्रु, कभी मुस्कान लाता,

होता मन अधीर प्रिय के दर्शन को,

भूल कर विवशता के हर बंधन को।


याद आते प्रणय कलह के वो दिन,

हे निष्ठुर ! यह जीवन है तुम बिन,

बना मरूस्थल विदारक और विशाल,

अतीत बना अब वह मधुर वसंतकाल।


स्मृतियाँ ही स्मृतियाँ हैं मन में,

अश्रु प्रद्युत हैं नवल नेत्रों में,

क्या अतीत काल न पुनः आएगा ?

क्या प्रकाशमान स्नेहदीप बुझ जाएगा ?


प्रिय के रंग में रँगा यह मन- जीवन,

विरह में सूना है हर वन उपवन,

स्मृति का अवलंबन आश्वासित करती,

ज्यूँ व्यथित हृदय पर अमृतरस बरसाती।




Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics