श्रीमद्भागवत -२०२; पूतना उद्धार
श्रीमद्भागवत -२०२; पूतना उद्धार
श्री शुकदेव जी कहते हैं, परीक्षित
नंदबाबा जब मथुरा से चले
झूठे न होते वासुदेव के कथन
रास्ते में विचार करने लगे !
उत्पात होने की आशंका मन में
तब उन्होंने निश्चय किया ये
भगवान् की शरण में हम जाएं
वे ही हमारी रक्षा करेंगे !
क्रूर राक्षसी एक पूतना नाम की
काम बस मारना बच्चों को
कंस की आज्ञा से उन्हें मारने के लिए
नगर, बस्ती में घूमा करती वो !
आकाशमार्ग से चल सकती थी
इच्छानुसार रूप बना ले
एक दिन सुंदर स्त्री बनकर वह
आई नन्द बाबा के गोकुल में !
मधुर मुस्कान से अपनी और
कटाक्षपूर्ण चितवन से उसने
चित चुराया ब्रजवासिओं का
घुस गयी नंदबाबा के घर में !
वहां उसने देखा कि बालक
श्री कृष्ण सोये हैं शय्या पर
नेत्र अपने बंद कर लिए
श्री कृष्ण ने उसे देखकर !
कालरूप भगवान् कृष्ण को
पूतना ने उठाया गोद में
ऊपर से मधुर व्यवहार करे
किन्तु कुटिल वो ह्रदय से !
भद्र महिला के समान दीखे वो
रोहिणी और यशोदा ने इसीलिए
सौंदर्यप्रभा से प्रभावित हो उसकी
रोक टोक नहीं की उससे !
कृष्ण को गोद में ले पूतना ने
अपना स्तन दे दिया उनके मुँह में
बालक को मारने के लिए उसपर
विष लगा रखा था उसने !
क्रोध को अपना साथी बनाकर
भगवान् ने दोनों हाथों से
स्तनों को दबाया उसके और
प्राणों के साथ दूध पीने लगे !
प्राणों के लाले पड़े पूतना को
'अरे छोड़ दे ' बोलीं वो ये
पैर पटककर वो रोने लगी
लथपथ शरीर था पसीने से !
उसकी चिल्लाहट का वेग भयंकर
पातळ और दिशाएं गूँज उठीं
बहुत लोग पृथ्वी पर गिर पड़े
आशंका से वज्रपात की !
अपने को छिपा न सकी वो
पीड़ा इतनी हुई थी उसे
राक्षसी रूप में प्रकट हो गयी
प्राण निकल गए शरीर से !
विशाल शरीर गिरते समय भी
कुचल गया कई वृक्षों को
शरीर बहुत भयंकर था उसका
डर लग रहा ग्वालों, गोपियों को !
गोपिओं ने जब देखा कृष्ण
निर्भय हो खेल रहे छाती पर
कृष्ण को उन्होंने उठा लिया
झटपट से वहां पहुंचकर !
यशोदा और रोहिणी के साथ में
गोपिओं ने गौमूत्र से फिर
नहलाया बालक कृष्ण को
गौ रज लगाई अंगों पर !
गोबर लगाकर फिर बारह अंगों में
केशव आदि नामों से भगवान् के
उनके अंगों की रक्षा के लिए
ये सब कहने लगीं वे !
' अजन्मा भगवान् तेरे पैरों की
मनिमान घुटनों की रक्षा करें
यज्ञपुरुष जांघों की और
अच्युत रक्षा करें कमर की !
हयग्रीव पेट की, केशव ह्रदय की
ईश वक्षस्थलों की, सूर्य कंठ की
विष्णु बाँहों की, अरुक्रम मुख की
और ईश्वर रक्षा करें सिर की !
चक्रधारी भगवान् रक्षा के लिए
तेरे आगे रहे, और गदाधारी श्री हरी पीछे
धनुष, खडग धारण करने वाले
मधुसूदन, अजान दोनों बगल में !
उपेंद्र ऊपर, हलधर पृथ्वीपर
शंखधारी अरुगाय चारों कोनों में
और भगवान् परम पुरुष तेरे
मन की रक्षा के लिए रहे !
हृषिकेश भगवान् इन्द्रियों की
नारायण प्राणों की रक्षा करें
श्वेतद्वीप के अधिपति दिल की और
रक्षा करें योगेश्वर मन की !
परमात्मा भगवान् अहंकार की रक्षा करें
और पृशनि भगवान् तेरी बुद्धि की
चलते समय भगवान् वैकुण्ठ और
बैठते समय भगवान् श्री पति !
रक्षा करें माधव सोते समय
खेलते समय गोविन्द रक्षा करें तेरी
और भोजन के समय पर
रक्षा करें तेरी, भगवान् यज्ञपति !
डाकिनी, राक्षसी, वृद्धग्रह और बालग्रह
आदि ये सभी अनिष्टों को
णमोचरण करने से विष्णु का
नष्ट हो जाएं भयभीत हो !
श्रीशुकदेव जी कहते हैं, परीक्षित
इस प्रकार सब गोपिओं ने
प्रेम में बंधकर उनके
भगवान् की रक्षा की उन्होंने !
दूध पिलाया माँ यशोदा ने
पालने पर सुला दिया उनको
उसी समय नन्द बाबा और गोप सब
मथुरा से गोकुल पहुँच गए वो !
पूतना का भयंकर शरीर देख
आश्चर्चकित हो गए वे
कहने लगे, वासुदेव ने कहा जो
उत्पात आ रहा यहाँ देखने में !
तब तक व्रजवासिओं ने पूतना के
शरीर के टुकड़े कर दिए
जला दिया फिर उन टुकड़ों को
दूर ले जाकर गोकुल से !
शरीर से धुआं जो निकला
अगर की सुगंध आ रही उससे
भगवान् ने दूध पिया था उसका
सारे पाप थे नष्ट हो गए !
जो मिलती है सत्पुरुषों को
वही परमगति मिली उसे
चरणों से शरीर दबाकर पूतना का
स्तनपान किया था भगवान् ने !
ब्रह्मा, शंकर, देवताओं द्वारा
वंदनीय हैं चरणकमल ये
माता को जो मिलनी चाहिए
उत्तम गति प्राप्त हुई उन्हें !
रतनमाला राजा बलि की कन्या
वामनावतार को जब देखा उन्होंने
पुत्र स्नेह का भाव उदय हुआ
उन्हें देख उनके ह्रदय में !
मन ही मन अभिलाषा करने लगी
मुझे बड़ी ही प्रसन्नता हो
यदि कभी इस बालक को
मैं अपना स्तन पिलाऊँ तो !
अपने भक्त बलि की पुत्री का
मनोरथ जान वामन भगवान् ने
मन ही मन अनुमोदन किया उसका
पूतना हुई वो ही द्वापर में !
श्री कृष के स्पर्श से
उसकी अभिलाषा पूर्ण हुई
और इसी से वो राक्षसी
परमपद को प्राप्त हुई !
ब्रजवासिओं के साथ नन्द जी
ब्रज में जब पहुंचे तो गोपों ने
पूतना के आने से मरने तक का
सारा वृतांत सुनाया था उन्हें !
पूतना की मृत्यु और कृष्ण की कुशलता
सुनकर नन्द आश्चर्चकित हो गए
बहुत ही आनंद हुआ उन्हें
कृष्ण को उठा लिया गोद में |