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Vivek Agarwal

Romance

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Vivek Agarwal

Romance

ग़ज़ल - न सुनी कभी भी तुमने

ग़ज़ल - न सुनी कभी भी तुमने

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न सुनी कभी भी तुमने; मेरे इश्क़ की कहानी।

जो दबी हुई है दिल में; वही बात है बतानी।

तेरे बिन जो जी रहा हूँ; वो मुझे लगे अधूरी,

जो बची है जिंदगी अब; तेरे साथ है बितानी।


ये नहीं है इतना आसां; कि मैं भूल जाऊँ तुमको,  

ये नहीं है आज कल की; ये है दास्ताँ पुरानी।

मेरे आँसुओं की कीमत; मैं भला किसे बताऊँ,

जो छुए किसी के दिल को; तो हैं अश्क़ वरना पानी।


जो कभी मिले अचानक; यूँ ही राह चलते चलते,

तो ज़रा ठहर के जाना; न तू करना बदगुमानी।

है बहुत बड़ी ये दुनिया; हैं बड़े हसीन चेहरे,

तेरी बात ही अलग है; न तेरा बना है सानी।


तेरा शबनमी है चेहरा; तेरे होंठ मद के प्याले,

क्या बता तेरा इरादा; क्या है तूने मन में ठानी।

तेरी झील जैसी आँखों; में कहीं मैं डूब जाऊँ,

तुझे देखता रहूँ मैं; न नज़र मुझे हटानी।


जो मिले तेरी इज़ाज़त; तो सँवार दूँ ये ज़ुल्फ़ें, 

तेरे गेसुओं की खुशबू; ज्यूँ महकती रात रानी।


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