दिल की बात
दिल की बात
मेरे दिल में लिखा मैंने सिर्फ नाम उसी का है,
पर उसकी तो धड़कनों में भी मैं बसता हूँ।
वो दिल की बात छिपाने में बड़ी माहिर है,
और पर उसके हर बात सुनने को तरसता हूँ।
अल्फाजों में मेरे भी नया सा एहसास होता है,
और धड़कनों में खामोशी की आहट होती है।
दिन के चैन चुराती लेतीं है मोहब्बत उसकी,
नींदे उड़े रातों में जब सारी दुनिया सोती है।
कुछ शायरी के अंदाज में बातें बताते हैं,
कुछ दिल के बातों को दिल में ही दबाते हैं।
कुछ तो नजरों ही नजरों में घायल होते हैं,
और कुछ तरसती मोहब्बत के कायल होतें हैं।
वो कहतीं है फुर्सत निकाल बैठा करो पास,
आंखों की गहराइयों में भी राज होते हैं।
बयां कर कर देते होंगे लोग हाल-ए-दिल,
पर कुछ लोगों में छुपा लेने के अंदाज होते हैं।
फरेब दिल भी है जिन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता,
पर ढूंढो जो रूह में उतर सकें पहली बार।
रुठे अंदाज को भी मना लेना बातों बातों में,
मिलेगा फिर तुम्हें लाखों में एक दिलदार।