Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Amit Kumar

Tragedy Others

4.7  

Amit Kumar

Tragedy Others

माता-पिता: ईश्वर

माता-पिता: ईश्वर

1 min
235


प्रत्यक्ष ईश्वर को ठुकराते

पत्थर की पूजा करते हैं,

जो पास हैं उन पर गुर्राते

जो दूर हैं उनसे डरते हैं,


माता-पिता का अपमान करें

और राम कृष्ण को भजते हैं,

देखो आधुनिक बच्चों को

तीर्थ की यात्रा करते हैं।


भगवान शिवा की कांवर का

क्या बोझ उठाया लोगो ने

क्यों आँखें बंद कर डाली हैं

बच्चों की कुछ प्रलोभो ने।


तजते जो अपने मात-पिता

वो कितने जिम्मेदार हैं भई

और कांवर की जिम्मेदारी

कंधों पर डाल विचरते हैं।


देखो आधुनिक बच्चों को

तीर्थ की यात्रा करते हैं।


जब हम छोटे-छोटे से थे

तब थाम के उनको चलते थे,

वो चुप शर्मिंदा हो जाते

जब कुछ ग़लती हम करते थे।


सब ताने उनको कस जाते

पर कभी ना हमको धिक्कारा,

और बड़े आज हम हो कर के

उनको शर्मिंदा करते हैं।


देखो आधुनिक बच्चों को

तीर्थ की यात्रा करते हैं।


ना आदर भाव बचा मन में

ना बची बड़ों की मर्यादा

ना मोह बचा आदर्शों का

सिद्धान्त हैं दिखते यदा कदा।


घर पर तो बूढ़े सिसक रहे

खुद चार धाम हो आते हैं

पत्थर पर सर को रगड़ रहे

घर शीश नवाते मरते हैं।


कर तिरस्कृत उनकी ख़ुशियाँ

स्वयं घड़ा पाप का भरते हैं।

देखो आधुनिक बच्चों को

तीर्थ की यात्रा करते हैं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy