ॠतुराज वसंत
ॠतुराज वसंत
खेतों में पीली सरसों फूली
वसुधा ने ओढ़ी चूनर धानी
चहुं ओर उल्लास है छाया
देख सखी ऋतुराज है आया
मंद मंद मुस्काए किसलय
प्रस्फुटित हो रही है आभा
मदमस्त मधुप खो रहे धीर
विहंस घटा छलकाए नीर
स्वागत है ऋतुराज तुम्हारा
तुम जगत को महका देना
भरकर नव उल्लास दिलों में
हर क्षण मधुमास बना देना
करते गुंजन मधुकर भीना
गुन गुन कर संगीत सुनाते
उपवन की नित फेरी करते
मदमस्त अलि, मन को हरते
बौरों से लदी है अमुआ की डाली
शुक पिक की बोली है, मतवाली
शाखाओं पर हैं नव पल्लव फूटे
पुष्पकुंज पर आतुर अलि दल टूटे।

