STORYMIRROR

Indu Kothari

Romance

4  

Indu Kothari

Romance

ॠतुराज वसंत

ॠतुराज वसंत

1 min
426

खेतों में पीली सरसों फूली

वसुधा ने ओढ़ी चूनर धानी

चहुं ओर उल्लास है छाया

देख सखी ऋतुराज है आया


 मंद मंद मुस्काए किसलय

 प्रस्फुटित हो रही है आभा

मदमस्त मधुप खो रहे धीर

विहंस घटा छलकाए नीर


स्वागत है ऋतुराज तुम्हारा

तुम जगत को महका देना

भरकर नव उल्लास दिलों में

हर क्षण मधुमास बना देना 


करते गुंजन मधुकर भीना

गुन गुन कर संगीत सुनाते

उपवन की नित फेरी करते

मदमस्त अलि, मन को हरते


बौरों से लदी है अमुआ की डाली               

शुक पिक की बोली है, मतवाली

शाखाओं पर हैं नव पल्लव फूटे

पुष्पकुंज पर आतुर‌ अलि दल टूटे।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance