ये बारिश...
ये बारिश...
ये जो बारिश है,
शायद किसी कि अधूरी ख़्वाहिश है,
खुदा की बरसती नुमाइश है,
रिश्तों को जोड़ने कि फरमाइश है।
बारिश की ये बूंदें,
लाती हैं कुछ यादें,
याद दिलाती हैं कुछ अनचाही बातें,
खामोश कर जातीं हैं लबों पर अाते - आते।
टूटकर बरस जाती हैं,
फूटकर बिखर जातीं हैं,
खुद को मिटाकर हरियाली लाती हैं,
बरस कर खेतों को लहलहाती हैं।
खुद को भुलाना चाहती हूँ,
इन बारिश कि बूंदों में,
आँसुओं को छुपाना चाहती हूँ,
इस ओस की बरसात में।