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Sameer Kumar

Drama Others

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Sameer Kumar

Drama Others

फ़र्ज

फ़र्ज

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धूप हँस रही हैं।

हम घर मे छिप गए।

माँ रो रही ।

तुम घर पे रुक गए।

जन्म देने वाली माँ के आँसू तुम्हें दिखते।

लेकिन भारत माँ और हजारों बेटों की माँ के आँसू नहीं दिखते।


जिनके साथ तुम ने हर लम्हा गुज़ारा है।

जिनके साथ तुम ने देश बचाने का क़सम खाया है।

जिनके सब को तुम ने हर जन्म के लिए भाई बनाया है।

उन सब को सरहद पर तुम ने अकेला छोड़ दिया।

मुसीबत के वक़्त तुम ने पीठ दिखाया है।

खुद के लिए तुम ने काँटा उगाया है।


जो वस्त्र मिला है वह एक कफ़न है,

यह तुम जानते हो।

उनमें सारे जन्म के लिए रखा है अमन,

यह न जानते हो।

कौन कहता है जो जाते वह शहीद हो कर आते है।

शहीद हो गए अगर तो वह अमर बन कर रह जाते है।


माँ रो कर निभा रही अपना फ़र्ज।

ऐ यारा माँ को देख निभा तू अपना फ़र्ज।

जवानों की है एकता ही ताकत।

न जायेगा तु उनका विश्वास बन जायेगा घातक।

सरहद तुझे बुला रही है।

अमन, चैन और खुशीयाँ लुटा रही है।


माँ रो कर निभा रही अपना फ़र्ज।

तु जाकर निभा अपना फ़र्ज।


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