नारी
नारी
कल कल बहती नदी सी नारी
मिठे झरने सी नारी
बारिश की फुहार सी नारी
भड़की जो, ज्वालामुखी भी नारी।
शितल, मधुर, तरल सी नारी
अभेद चट्टानों सी नारी
कोमल, नाज़ुक सी नारी
जागा स्वाभीमान, तो विरांगना भी नारी।
रोती बिलगती सी नारी
हँसती खिलखिलाती सी नारी
शांत एकांत सी नारी
आगाज की ललकारी भी नारी।
तपती अगम सी नारी
तपाती अगन सी नारी
बुझती अगन सी नारी
शोलों सी धधकती चिंगारी भी नारी।
ममता की छांव सी नारी
बेटी के दुलार सी नारी
प्यारी प्रियंवदा सी नारी
प्रतिशोध की मुरत भी नारी