पिताजी
पिताजी
हमारे पिताजी
एक बरगद के पेड़-सा
हमारी ज़रूरतों की
ज़मीन पर
मजबूती से जुड़े हुए
हमेशा हम सब की
भलाई के लिए
प्रयासरत हैं ...।
उनको ईश्वरीय ज्ञान
एवं ईमानदारी
जन्म से ही प्राप्त है ...
वे केंद्रिय सरकार की
'सेक्शन आफिसर' के रूप में
पूरी् निष्ठा एवं निष्पक्ष रूप से
अपना कार्यभार संभाल कर
सन् २००२ में
सेवानिवृत्त होकर अब
समाज की क्रमोन्नति हेतु
सदैव तत्पर रहते हैं ...।
मेरे पिताजी ने
अपने सरकारी नौकरी के दौरान
घुसखोरी एवं चमचागीरी को
कतई हवा नहीं दी ...
उनको अपनी ईमानदारी
एवं सत्यनिष्ठा हेतु
कभी कोई पुरस्कार तो
नहीं मिला ,
मगर हम जानते हैं
कि वे ईमानदारी में
अव्वल दर्जे के व्यक्ति हैं।
वे चाहते तो
कोई भी हथकंडा अपनाकर
हम दोनों भाईयों को
अच्छी नौकरी दिलवा सकते थे ,
मगर हमें योग्यता के बाद भी
कोई सरकारी नौकरी नहीं मिली ...
और अब तो मिलना संभव नहीं।
हमें मगर कोई अफसोस नहीं --
हमे अपने पिताजी
श्री नरेन्द्र कुमार तपादार जी पर
पर बहुत गर्व है ,
क्योंकि उन्होंने कभी
बेईमानी एवं भ्रष्टाचार के आगे
घुटने नहीं टेके ...
और आज तक वे
अपने आदर्शों पर
सशक्त रूप में
क़ायम हैं...।
हमारे पिताजी निस्वार्थ हैं , निरलस हैं ;
उनको बैंक में जमा
राषि की दुश्चिंता नहीं...।
उनका कोई आलिशान भवन नहीं ,
कोई चारपहिया वाहन नहीं ;
समाज की दकियानूसी और
जालसाजी की फिक्र नहीं।
उन्हें अनुपयोगी वस्तुओं को
नुमाइश के लिए
जमा करने की
बुरी आदत नहीं ...
उनको दुसरों को पछाड़ कर
आगे दौड़ने की होड़ नहीं ...
उनको बेशुमार दौलत का नशा नहीं --
वे तो ईमान से
बरगद के पेड़-सा
अपने उसूलों पर हमेशा क़ायम हैं।
पिताजी, आप को हमारा सलाम !!!
