मोबाइल का मायाजाल
मोबाइल का मायाजाल
ऑनलाईन से ऑफलाईन तक का
दिलचस्प सफ़र,
छोटे से मशीन में सिमटकर
रह गया है पूरा ब्रह्माण्ड
क्या क्या अनुभूति करवाता है।
कितने भाव कितने एहसासों से
मुलाकात करवाता है
किसी की खुशी दर्शाता है तो कहीं
किसी का दर्द बाँटने को मिलता है।
अन्जान, अनदेखे, अजनबी
फ़िर भी दिल के करीब दोस्तों से
निकटतम रिश्ता बनाता है।
तो कहीं किसी को अपना जानू,
बाबू भी यहीं पर मिल जाता है,
रोज़मर्रा की हर बात से
अवगत करवाता है।
दुनिया के किसी भी कोने में
हो रही हलचल की
ख़बर पल भर में पहुँचाता है।
कहीं किसी को जन्मदिन की बधाई तो
कहीं श्रद्धांजलि भी दिलवाता है,
फिल्म जगत से लेकर
राजनीति से परिचय करवाता है।
किसीकी हिन्दी तो किसी की
अंग्रेजी पक्की करवाता है।
उफ्फ़ क्या कहना एक आम से चेहरे को
सेल्फ़ी के जरिये खास भी तो बनाता है।
कभी कोई मन के सच्चे
से मिलवाता है तो
कभी फेंक ओर चालबाज़ों से
लड़वाता है,
क्रिकेट हो या चुनाव,
होली, दिवाली या तीज,
त्यौहार दूर दूर रहते हुए भी
दोस्तों के साथ साथ
मनवाता है।
हरे बिंदू ओर ब्लू राईट का
खेल बड़ा है न्यारा
मेसेंजर का लुत्फ़ भी तो हाय तौबा,
कुल मिलाकर ये सफ़र
मन को हर रंगों में रंग जाता है
पर भैया है बड़ा ही अफ़िमी
इस सफ़र का नशा,
हर कुछ देर बाद तलब उठती है
अंगूठे में ला ज़रा ऑनलाईन तो हो लूँ
देखूँ तो क्या हाल-चाल है
आभासी दुनिया के अंतरंगी दोस्तों का।
ज़रा बचकर रहना इस नशे से
व्यसन चाहे कोई भी हो
लग गया तो गये काम से।