हॉस्टल के दिन
हॉस्टल के दिन
सर्दियों के दिनों में एक दिन मैंने नहाने की ठानी,
इसके लिए रोड़ से किया गरम पानी,
इतने में आ गई एक दोस्त पुरानी,
देखनी थी उसके साथ सीरीज महारानी,
जल्दी से नहाने भागी लेकर साबुनदानी,
डालते ही एक मग याद आ गई नानी,
ठंडा हो गया था नहाने का पानी,
चढ़ गया बुखार पड़ी दवाई खानी,
नहाउंगी जब इस बार तो लूंगी गर्म पानी,
हॉस्टल के दिनों की भी थी अजब ही कहानी।
