STORYMIRROR

गधे आदमी नहीं होते

गधे आदमी नहीं होते

1 min
731


गधे आदमी नहीं होते।

क्योंकि दांत से घास खाता है ये,

दांते निपोर नहीं सकता।

आँख से देखता है ये,

आँखे दिखा नहीं सकता।


गधा अपना मन नहीं बदलता,

हालत बदलने पे आदमी की तरह,

रंग नहीं बदलता।


खुश होने पे मालिक के,

सामने दुम हिलाता है,

औरो पे हँसता नहीं,

भूख लगने पे ढेंचू-ढेंचू करता है,

औरों की चुगली करता नहीं।


दुलत्ती मरता है चोट लगने पे,

लंगड़ी नहीं मारता,

दिखाने के लिए नहीं काम नहीं करता,

काम से टंगड़ी नहीं झारता।


औरों के मुकाबले ज्यादा वजन ढोये,

तो इसे जलन नहीं होती,

अगर दूसरे गधे आराम फरमाते है,

तो इसे कुढन नहीं होती।


गधों को आदमी की तरह,

पेट के दांत नहीं होते,

गधे-गधे होते हैं,

आदमी की तरह बंद किताब नहीं होते,

इसीलिए गधे आदमी नहीं होते।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Children