बच्चे
बच्चे
कानों मे अचानक जैसे बम फट गया मानो,
बच्चे की बातें सुनकर दिल बैठ गया मानो,
जब कहा उसने अब मुझे ना अब अपना जानो,
करने लगा व्यवहार ऐसे जैसे गैर हो कोई मानो,
कितनी बार ले गया मैं आपको अस्पताल गिनो,
झेल चुका हूं आपको घुट-घुटकर मै कितने दिनो,
आपकी वजह से गृहस्थी नहीं बसारे हम दोनों,
जबरदस्ती जिम्मेदारी बन गए हो मेरी आप दोनो,
कुछ नही कर पाया आपकी वजह से यह मानो,
बाकी भाई- बहन तो आते है तरह से महमानो,
सुना ये शक होने लगा अपनी परवरिश पर मानो,
दिमाग में घूम गया यादों का चक्र यकीन मानो,
हॉस्टल में भेज कर जिन्हे रोए थे कितने दिनो,
बीमारी में जिनकी दौड़ते रहे दोनों के दोनो,
गृहस्थी बसाने को सबकी गैर बन गये दोनों,
भविष्य बनाने को बच्चों का जुट गये बस दोनो,
विदा किया सबको दिल पर पत्थर रखकर मानो,
कैसे-कैसे आत्मसम्मान बचाये रखा इतने दिनो,
पर अब दिल छलनी हो गया सुनकर यह जानो,
सारा जीवन गवाँ कर यूँ ही ठगे से रह गये दोनो।
