शादी कर के फँस गया यार
शादी कर के फँस गया यार
काश न होती वो तैयार
शादी से करती इंकार
न होता जीवन बेकार
शादी कर के फँस गया यार।
मैं ही गलत निकला हर बार
जब भी हुई कोई तकरार
पहना उसने जीत का हार
शादी कर के फँस गया यार।
इश्क़ की सूखी पड़ी फुहार
तानों की हरदम बौछार
यही जिंदगी का अब सार
शादी कर के फँस गया यार
घर संसार है कारागार
जेलर हरदम खाये खार
दिल है अब बिलकुल बेजार
शादी कर के फँस गया यार
तनख्वाह मेरी कुछेक हजार
बीवी चाहे महंगे उपहार
साथ में एक लम्बी सी कार
शादी कर के फँस गया यार।
काश न होती वो तैयार
शादी से करती इंकार
न होता जीवन बेकार
शादी कर के फँस गया यार।