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vivek kamthan

Comedy

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भैंस की सवारी

भैंस की सवारी

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चहूँ ओर हंसी होत, ठट्टे लगत रहे, 

   हम पै आन पड़ी विपदा कोऊ भारी।

एक दिन जौ, हम भी कर रहे,

   एक उजड्ड भैंस की सवारी।

गांव मा एक दिन, हम गए रहे,

   चकित खूब भये देखउ के हरियारी।

हर ओर ढोर पखेरू फिरत रहे, 

   हम करित रहिन मस्ती सारी।

लरिका बालक भैंस चरात रहे, 

    बैठें ओका ऊपर, दिखाय हुसियारी। 

देखि उन्हें माथा हमाओ फिरत रहो, 

   घास चरन निकल गई बुद्धि हमारी।

हमऊ हुसियार सहर से आये रहे, 

   जे बायें हथेली को खेलि रहे हमारी। 

ठान लिए ई का ऊपरि चढ़े रहि,

   चचा पकरि के राखि, नटखट भैंस तुम्हारी।

हम तनि सहलाव खूब पुचकार रहे, 

   चचा मुस्काव, चची घबरात हमारी।

आज सबैं दिखाय दियें हिम्मत बताय दियें ,

   लपकि चढ़ सवार, गाँठि हमने सवारी। 

(अब भैंस की तरफ से ४ लाइनें )

हम तो खङी रहीं , चारा चरत रहीं।

   आसमान से कोऊ बिजुरी गिरी भारी।

चढ़ कर धप से, लपक कर बैठि गयो, 

   हम पै कोउ मूरख और अनारी। 


भैंसिया बिदक गई जोर से दौड़त रहि,

   भैंस थी भूल गई, घोड़ी बनी न्यारी। 

हमउ अटे रहिन, ऊका ऊपरि डटे रहिन,

   कछु करि न सकिन , आखँ बंद हमारी।

चचा साथ दौड़त रहे, खूब मौज लेत रहे, 

   लरिका लोग पीछा करें, शोर करें भारी। 

घमंड सारो टूट गयो , खूब पसीनो छूट गयो, 

   ध्यान बंसी वालो आयो, बचाओ जान हमारी।

झट से झटक दयो, हमका पटक दयो,

   खुपरिया झन्न गोढ़ पिराय रहे , पीठ छिली हमारी।

बालक सबै हँसत खड़े , हथेलियां पीटत राहे, 

   नाली मा हम गिरे परे, और लुगाइयाँ हँसत रही सारी।


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