चंदे का धंधा
चंदे का धंधा
कुछ लोग मेरे घर आए
द्वार खटखटाये
हमें देख मुस्काये
हमने कहा"क्या चाहिये"
वे बोले "चंदा चाहिये"
हमने कहा "किस बात का चंदा
न होली न दिवाली, न बैठे गणेश, न खड़ी काली"
वे बोले "चंदा दिवस जानिए
हमारी मानिये, दानी बनिये, कुछ तो दीजिए"
हमने कहा "हम भी मांगने निकल रहे थे चंदा
यही तो है हमारा साइड धंधा
मास्टर के पास महीने के अंत में आते हो
चंदा मांगते हो
आप अपना इक्ट्ठा चंदा दे जाइए
एक तारीख को ब्याज समेत ले जाइए"
वे बोले" ये आलीशान मकान, ये घर "
हमने कहा" सब चंदे से बना है
भला मास्टरी में कभी कोई घर बना है "
वे बोले" आप शक़्ल से लगते हैं सज्जन
साथ रहिए, नहीं रहेगी कोई उलझन
एकता में बड़ी शक्ति है
मिलकर चंदा मांगिये
शाम को अपना अपना हिस्सा बांटिये ".
