हे प्रिये
हे प्रिये
हे प्रिये
मैं चाहती हूँ हमारा प्यार दिन दूनी रात
चौगुना बढ़ता रहे महँगाई की तरह
और तुम सदा मेरे पास रहो
उद्योगपति की ब्लैक कमाई की तरह
लेकिन तुम अक्सर गायब हो जाया करती हो
कुकिंग गैस और मिट्टी की तेल की तरह
और फिर बहुत इंतजार करते है पर
तुम कभी समय पर नहीं आती
भारतीय रेल्वे की तरह
ऐसा लगता है तुम्हारे वादे हो गए है
नेताओं के वादे की तरह
और तुम्हारी कसमें टूट गई है महानगर
की सड़कों की तरह
जब तुम पास नहीं होती तो दिल बुहत
ख़ाली खाली सा हो जाता है गवर्नमेंट
ऑफिसर की तरह
और इस खालीपन में तुम्हारी याद
बढ़ती जाती है सरकारी टैक्स की तरह
इसलिए हे प्रिये हम और तुम जन्म जन्म
एक दूसरे के साथ-साथ रहे
जनता और गरीबी की तरह
और हमारा प्यार सदा पवित्र बना रहे
शुद्ध वनस्पति घी की तरह।