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Akanksha Srivastava

Abstract Comedy Fantasy

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Akanksha Srivastava

Abstract Comedy Fantasy

आज की नारी सब पर भारी

आज की नारी सब पर भारी

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लो खोली मैंने अलमारी

क्या पहनें अब भला ये अबला नारी


हाय वही पीला वही नीला

अब ना भाय एक भी कपड़ा


निकल पड़ी जब शॉपिंग करने

शॉपकीपर ने शुरू की अपनी बारी


हाय पकड़ कपार बैठ गया वो

पूछे मैडम अब क्या लोगे

हमने कहा तुम्हारे बस के बाहर


तुम पुरुष क्या जानो मोल

हम नारी जो करते इतना खोज

सोचो कैसे करते किसी एक को चूज !


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