सब रक्खा है
सब रक्खा है
कौन कहता है कि तुझको भुला रक्खा है
तुझे तो हर्ट में ही ब्लड सा छुपा रक्खा है
तेरी यादें दिमाग दिल पे छाई रहती हैं
सर्कुलेशन से खोपड़ी को दबा रक्खा है ।
अंधेरे दिल में जलाया जो प्यार का दीया
खोपड़ी का मेरा भूसा भी जला रक्खा है
खाली होने पर कलम फेंक दी थी जो तूने
उसे तो आज भी सीने से लगा रक्खा है ।
लिखते लिखते जो कलम दांत से दबाती थी
कलम वही तो होठों से लगा रक्खा है
तेरे कलम और कागज के कुछ मुश्किल टुकड़े
टूटी अलमारी में मैंने ही सजा रक्खा है ।
डरते दीमक भी है वह कागजें कुतरने से
तेरी फोटो भी वहां पर जो लगा रक्खा है
वह जो चूरन वाली नोट दी थी तुमने कभी
आज बाजार में वो ही तो चला रक्खा है ।
एक कागज पे तूने प्रिय लिखा था मुझको
उसी ने आज लोकप्रिय बना रक्खा है
दूर गर हो गए तो मुझको गम नहीं कोई
तेरा नंबर मेरी कॉपी में लिखा रक्खा है ।
दिया था प्रेम दिवस पर गुलाब जो तुमने
सूखी पंखुड़ियां किताबों में दबा रक्खा है
अपना "एहसास" बयां कर गया है यूं कोई
सच में तो खिचड़ी न कोई भी पका रक्खा है।