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क्या बताऊँ

क्या बताऊँ

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क्या बताऊँ जीवन में क्या चल रहा !

उम्र है की घटती नहीं,

लडकी है की पटती नहीं।


क्या बताऊँ जीवन में क्या चल रहा !

जब आखिरकार मिल गयी एक लड़की,

चल रही थी हमारी कड़की !

खानी थी उसे थाली,

पर जेब थी हमारी खाली !


लड़की ऐसे भड़की,

जैसे मानो कोई आग,

हमने सोचा जान बचा लो,

हम तो लिए भाग !


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