अब तो खुले में भी घुटन सी मेहसूस होती है
अब तो खुले में भी घुटन सी मेहसूस होती है
अकेलापन सा कुछ यूँ महसूस होता है,
जब लोगों के बीच होकर भी,
तन्हाई का एहसास होता है।
कहने को तो होता है बहुत कुछ,
लेकिन सुनने वाला कोई नहीं,
यह सोचकर मन कुछ निराश होता है।
अपने अपने जीवन में कुछ यूँ व्यस्त हो गए,
कि अपनों के लिए समय नहीं,
ऐसा आभास होता है।
खुद से ही बातें करने लगे,
और विचारों में कुछ ऐसे उलझते गए,
कि लगने लगा जैसे जीवन, जीवन नहीं,
मानो कोई पाश होता है।
कोशिश हमने जरूर की,
अपने दिल कि बात बताने की,
मन की वेदना मिटाने की,
लेकिन जब मन ही निर्बल हो गया हो,
तब जीवन का भी नाश होता है ।
