जीवनदायिनी है जो नारी
जीवनदायिनी है जो नारी
जीवनदायिनी है जो नारी यहां।
सबके जीवन में जो बस प्यार भरे।।
हाय ! क्यूँ दफन है सिसकी सीने में।
क्यूँ राहों में उसके अंगार मिले ।।
जो एक नहीं दो-दो आंगन में।
खुशियों की शीतल बयार भरे ।
क्यूँ उसे दहेज की बलिवेदी।
और कभी भ्रूण संहार मिले ।।
सोयी मानवता को जगा जगाकर।
नारी चेतना की टंकार करें।
नर-नारी में भेद करे जो चले।
हम आज वो हर एक दरार भरे।।
जो अपनी ममता और प्यार से।
सभी के जीवन को बहार करें।।
उसके झीने-झीने आंचल में ।
हम प्यार भरा एक संसार भरें ।।